(धर्मपथ)- चार पुलिस के जांबाज एक पत्रकार को घेर कर थाने में वहशी तरीके से मारते हैं ,कारण वह एक ऐसी घटना के समय पहुंच गया जो की उन पुलिस वालों को अपनी कारगुजारियाँ खुलने का भय पैदा कर रहीं थीं.और उसे घेर कर इतना मारा वह भी थाना प्रभारी सर्राफ के निर्देशन में की वह मरणासन्न हो गया.जैसे ही यह सूचना पत्रकारों के बीच पहुंची सब एकत्रित हुए लेकिन पुलिस के आला अधिकारी उनका बचाव करते नजर आये.
पुलिस अधीक्षक सक्सेना के बयान
महाशय ने कहा की हम जांच कर रहे हैं,जब हमने पूछा की आप यहाँ के एसपी हैं क्या ये पत्रकार अपराधी या आतंकवादी नजर आता है जो इतना मारा तब वे बगलें झाँकते नजर आये और सीएसपी को जांच अधिकारी नियुक्त करने की बात करने लगे जबकि एसपी को ही अधिकार होता है की वे तुरंत इस पर निर्णय लें,लेकिन पुलिस न्याय पर नहीं विभाग की गलतियों को छुपाते नजर आई।
थाना प्रभारी अन्याय और अत्याचार के लिये मशहूर है
प्रभारी सर्राफ इसके पहले भी अपनी नियुक्तियों में समाजविरोधी घटनाओं में अपना नाम कमा चुका है और विख्यात है इस तरह की अमानवीय कार्यवाही के लिये.यहाँ भी इसके निर्देश पर ही यह कार्य अंजाम दिया गया,क्योंकि वह कहता सुना गया की उसके वरिष्ठ अधिकारी उसका ही पक्ष लेंगे कारण आप खुद ही समझ सकते हैं.
वरिष्ठ अधिकारियों की शह पर कनिष्ठ करते हैं अत्याचार
कर्मचारियों के मन में यह पक्का विश्वास है की उनके वरिष्ठ अधिकारी उन्हे बचा लेंगे इसीलिये वे अमानवीय कार्य करने से नहीं घबराते,वरिष्ठ यह जानते हैं की सत्ता पक्ष उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं करेगा क्योंकि वे ही उसके माध्यम हैं,इन्दौर के बाद राजधानी भोपाल में घटी यह घटना मध्यप्रदेश में प्रशासन के सुशासन की पोल खोलती है.
शिवराज सिंह की पकड़ प्रशासन पर नहीं है
शिवराज सिंह सिर्फ बयानवीर हैं यह सिद्ध हो चुका है,मंत्री अपनी मनमर्जी करते हैं,जनता द्वारा पूर्ण बहुमत दिये जाने के बाद भी शिवराज में इतनी हिम्मत नहीं की अपने मंत्रियों पर लगाम कस सकें,सभी नियुक्त लोग भ्रष्टाचार में डूबे हैं और शिवराज उन्हे जांच एजेंसियों से बचाने में अपना समय देते हैं ना की रामराज्य लाने में.
एसपी और सीएसपी हो हटाने की जगह जांच की बात करते हैं
इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी अभी तक प्रशासन के कान में जूँ नहीं रेंगी,एक केन्द्रीय मंत्री की दुर्घटना पर सीबीआई जांच और बड़े घोटालों पर इनकी चुप्पी क्या सुशासन का प्रतीक है नहीं ये सिर्फ अपने लिये जी रहे ना की जनता के लिये जिन्होने इन्हे गद्दी पर बैठाया.