(धर्मपथ)– पत्रकारों पर पुलिस प्रशासन का वहशियाना हमला सिर्फ एक घटना नहीं है याह शिवराज सरकार की आम जन और पत्रकारों के प्रति दृष्टी का सूचक है.इंदौर का प्रेस क्लब और वहा के पत्रकारों की एकजुटता के सभी जगाह उदाहरण दिये जाते है,इंदौर प्रेस क्लब की व्यवस्था और कार्यशैली की सभी जगाह प्रशंसा होती है.
स्टैंड संचालक के हितैषी दी पुलिसवाले
स्कूटर स्टैंड संचालक से हर महीने वसूली करने वाली पुलिस उसकी एवज में संरक्षण प्रदान कर्ती है,इसी लिये किसी भी अवैध कामों से ये दरते नहीं हैं,पुलिसकर्मियों ने जिस तरह की बरबर्तापूर्वक कार्यवाही की है वह प्रशासन और पुलिस का जनता और पत्रकारों के लिये उनकी सोच को प्रदर्शित करता है.
जनसम्पर्क से लेकर प्रशासन और नेता भी बेलगाम हो गए हैं
शिवराज सिंह उन प्रशासनिक अधिकारियों की बात ज्यादा मानते हैं जिन्हे जन-कल्याण की जगह स्व-कल्याण की ज्यादा चिन्ता रहती है,इस बार सत्ता पर आसीन होते ही अधिकारियों ने समझा दिया है की अब 5 वर्ष और अत्याचार करो कोई कुछ नहीं कर सकता,इसी लाइन को लेकर नेता और अधिकारी भी बेलगाम हो गए हैं.पिछले दिनों विज्ञापन से लेकर अधिमान्यता करने मे भी पत्रकारों को परेशान किया गया.याह तालीबानी सोच यह प्रशासन के रवैये को प्रदर्शित करती है,लेकिन शिवराज भी यह जान लें की तालीबानी शासन ज्यादा दिन तक नहीं चलता है.भाजपा नहीं तो कहीं इसकी गाज शिवराज पर ही ना गिर जाये,खैर देखते जायिये आगे-आगे होता है क्या.
गृह मंत्री बाबुलाल गौर ने दिये जांच के आदेश
गृह मंत्री ने ए आई जी स्तर के अधिकारी को जांच कर 24 घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिये हैं.