भोपाल, 23 जनवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में ‘बेटी बचाओ अभियान’ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिए गए नारे ‘बेटी नहीं होगी तो बहू कहां से लाओगे’ को अब देश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से सुना। प्रदेश को पता है मोदी का यह जुमला नया नहीं है, फिर भी गर्व है कि अपने मुख्यमंत्री की बयानी प्रधानमंत्री की जुबानी समूचे देश में फैली।
भोपाल, 23 जनवरी (आईएएनएस)। मध्य प्रदेश में ‘बेटी बचाओ अभियान’ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिए गए नारे ‘बेटी नहीं होगी तो बहू कहां से लाओगे’ को अब देश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से सुना। प्रदेश को पता है मोदी का यह जुमला नया नहीं है, फिर भी गर्व है कि अपने मुख्यमंत्री की बयानी प्रधानमंत्री की जुबानी समूचे देश में फैली।
हरियाणा के पानीपत में आयोजित ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत में गूंजा यह नारा अब मध्य प्रदेश से बाहर पूरे देश में सुनाई देता रहेगा।
राज्य में बिगड़ते लिंगानुपात में सुधार लाने के लिए शिवराज की अगुवाई वाली सरकार ने 2006 में लाडली लक्ष्मी योजना की शुरुआत की थी। इसके अलावा बालिका जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने जन्म से लेकर उनके जीवन कल्याण की अनेक योजनाएं शुरु की। बालिकाओं को स्कूली गणवेश, पुस्तक आदि दिए जाने के साथ उन्हे हाईस्कूल की पढ़ाई के दौरान नि:शुल्क साइकिल प्रदान की जाती है।
एक तरफ राज्य सरकार ने जहां बालिकाओं की पढ़ाई के लिए योजनाएं बनाईं तो उनके विवाह के लिए कन्यादान योजना को अमली जामा पहनाया। इस योजना के तहत सरकार की ओर से नवदंपति को उपहार दिया जाता है।
राज्य में बालिका जन्म को प्रोत्साहित के लिए जहां योजनाएं चलाई जा रही हैं, वहीं मुख्यमंत्री आमजन को बेटियों की कम होती संख्या को लेकर सचेत भी करते रहे हैं। उन्होंने सिर्फ बेटों की चाहत रखने वालों को सचेत करते हुए कहा था कि ‘अगर बेटी नहीं होगी तो बहू कहां से लाओगे।’
चौहान का यह नारा बुधवार तक राज्य की सीमाओं तक ही सिमटा था, मगर गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी ने हरियाणा के पानीपत में इसी नारे को दोहराकर दूसरे राज्यों या यूं कहें कि पूरे देश तक पहुंचा दिया है। मोदी ने इस मौके पर बेटियों के साथ होने वाले पक्षपात से लेकर बेटों के लिए बहू पाने के लिए संभावित संकट से भी लोगों केा सचेत करने की कोशिश की।
राज्य की महिला बाल विकास मंत्री माया सिंह का कहना है कि प्रदेश में बालिका जन्म को प्रोत्साहित करने के साथ महिलाओं के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनका असर भी दिख रहा है और परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां बालिका शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता आई है, वहीं महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति सजग हुई हैं। उनमें आत्मरक्षा का जज्बा भी पैदा हुआ है। राज्य सरकार के प्रयासों को राष्ट्रीय स्तर पर सराहा भी जा रहा है।
दूसरी ओर, बालिकाओं के हित में काम करने वाली संस्था चाइल्ड राइट ऑब्जर्वेटरी की अध्यक्ष निर्मला बुच ने आईएएनएस से कहा कि सिर्फ धन मुहैया कराने से बालिकाओं और महिलाओं की स्थिति नहीं बदल सकती, इसके लिए समाज की सोच में बदलाव लाया जाए। लोगों में कानून का डर पैदा करना होगा, तभी बेटियों को बढ़ाया और पढ़ाया जा सकेगा।