नई दिल्ली/जयपुर, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रो. वासुदेव देवनानी ने सुझाव दिया कि शिक्षा को देशानुकूल एवं युगानुकूल बनाते हुए नई शिक्षा नीति का निर्धारण करना चाहिए। विशेषकर सूचना-प्रौद्योगिकी के साथ भारतीय दर्शन, संस्कृति, योग और नैतिक शिक्षा का समावेश करने के अलावा महाराणा प्रताप जैसे शूरवीरों की गाथाओं को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
प्रो. देवनानी शनिवार को नई दिल्ली के निकट गुडगांव के होटल लीला में नई शिक्षा नीति पर चर्चा के लिए केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी की अध्यक्षता में आयोजित उत्तर भारत के शिक्षा मंत्रियों की बैठक में बोल रहे थे।
उन्होंने बताया कि राजस्थान में प्रदेश के पाठयक्रम को युगानुकुल एवं देशानुकूल बनाने की दिशा में हम आगे बढ़े हैं। शिक्षा में संस्कार, सामाजिक सरोकार, राष्ट्रीय विचार, भारत का सच्चा इतिहास, अतीत के सुनहरे पन्नों के साथ नवीन विचारों, अनुसंधानों प्रयोगों का ध्यान में रखकर शिक्षा के मूल ध्येय को समर्पित पाठ्यक्रम को बनाने का काम प्रारम्भ किया है और यह काम अगले महीने तक पूरा हो जाएगा।
उन्होंने बताया कि राजस्थान में पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जन्म दिन को प्रतिवर्ष विद्यार्थी दिवस के रूप में मनाया जायेगा। प्रो. देवनानी ने बताया कि राजस्थान के दो हजार से भी अधिक स्कूलों में एक लाख से भी अधिक बच्चे प्रधानमंत्री की ‘मन की बात’ को रेडियो पर सुनकर प्रेरित हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में बुद्घिमता (आई.क्यू.) के साथ विद्यार्थियों को संवेदनशीलता और आध्यात्मिकता से जोड़ने की निरतंर जरूरत है। विभिन्न बोडरे में मेरिट सिर्फ अंकों के आधार पर घोषित नहीं की जानी चाहिए, बल्कि सहशैक्षिक गतिविधियों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए।
प्रो. देवनानी ने सुझाव दिया कि कक्षा एक से 12 तक एक ही स्कूल होना चाहिए तथा बच्चों को 6 वर्ष की उम्र में स्कूल भेजने के बजाए सरकारी स्कूलों में प्रदेश आयु सीमा को कम कर प्री-प्राईमरी के रूप में ‘बाल-वाटिका’ या शिशुवाटिका का प्रावधान किया जाना चाहिए।
इस मौके पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने स्मृति चिंह भेंट कर एवं दुशाला ओढ़ा कर प्रो. देवनानी का अभिनदंन किया। बैठक में राज्य के प्रमुख शिक्षा सचिव नरेश पाल गंगवार और प्रारंभिक शिक्षा सचिव कुंजी लाल मीना भी उपस्थित थे।