पटना, 6 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का चेहरा बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे, लेकिन परदे के पीछे जलवा था पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के आईटी सेल का। इन्होंने पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर छोटी से छोटी बात को भी व्यवस्थित किया। जीतने पर कार्यकर्ताओं को रुपये-पैसे से लेकर गाय तक इनाम में देने का वादा किया गया।
पटना, 6 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का चेहरा बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे, लेकिन परदे के पीछे जलवा था पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के आईटी सेल का। इन्होंने पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर छोटी से छोटी बात को भी व्यवस्थित किया। जीतने पर कार्यकर्ताओं को रुपये-पैसे से लेकर गाय तक इनाम में देने का वादा किया गया।
2014 के आम चुनाव में मोदी के चुनावी गुरु प्रशांत किशोर थे। इस चुनाव में उन्होंने नीतीश कुमार का दामन थाम लिया था। इस स्थिति में पीएमओ के आईटी सेल को पटना में भाजपा के ‘वार रूम’ में बनने वाली रणनीति का हिस्सा बनाया गया।
आईटी टीम को आडियो कांफ्रेंस के जरिए प्रदेश के कार्यकर्ताओं से जुड़ने के लिए कहा गया। कार्यकर्ताओं से कहा गया कि वे बेहिचक अपनी बात रखें।
‘वार रूम’ के सदस्य रहे एक भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “एक समय में अलग-अलग इलाकों के 8-10 कार्यकर्ता जुड़ते थे। उन्हें बताया जाता था कि भाजपा के लिए यह चुनाव क्यों महत्वपूर्ण है। इससे उनसे एक भावनात्मक संबंध बन जाता था। कार्यकर्ता कोई भी सवाल पूछ सकते थे।”
‘वार रूम’ का प्रबंधन पार्टी के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार, धर्मेद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव और अनिल जैन संभाले हुए थे। ये सभी अपनी रपट अध्यक्ष अमित शाह को देते थे और शाह उसे प्रधानमंत्री मोदी तक पहुंचाते थे।
अमेरिका में अनिवासी बिहारियों का एक प्रकोष्ठ युवा मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में मतदान के लिए समझाता था। इस प्रकोष्ठ को गांवों के संभ्रांत लोगों के फोन नंबर दिए गए थे।
बिहार के इन अनिवासियों ने अमेरिका में बिहार सोसाइटी नामक संस्था बनाई थी। इसके सदस्यों ने अमेरिका यात्रा के दौरान मोदी से मुलाकात की थी।
ये फोन से लोगों से बात करते थे। बिहार के युवाओं से कहते थे, “हमें बिहार क्यों छोड़ना पड़ा? गुजराती अनिवासियों को देखें। उन्होंने अपने राज्य में निवेश किया, क्योंकि वहां आधारभूत ढांचा और निवेश के लायक माहौल था। यह बिहार में तभी संभव है, जब यहां भाजपा की सरकार बनेगी।”
इन्होंने व्हाट्सएप पर इंडिया फॉर डेवलप्ड बिहार नाम से ग्रुप बनाया था।
अमित शाह-नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने जमीनी स्तर पर छोटी से छोटी बातों का ख्याल रखा।
जुलाई महीने में ही गुजरात के एक सांसद को बिहार के ऐसे 10 जिलों में चुनावी काम की जिम्मेदारी दी गई, जहां भाजपा बहुत मजबूत नहीं है। सांसद ने नीतीश कुमार के गृहजनपद नालंदा से शुरुआत की।
वह एक के बाद दूसरे इलाके में जाते रहे और कार्यकर्ताओं में जोश भरते रहे।
उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा, “आपका पहला लक्ष्य बूथ स्तर पर वोट प्रतिशत बढ़ाना होगा। अगर यह पांच फीसदी बढ़ गया और भाजपा एक मत से भी जीती तो आपको इनाम मिलेगा।”
इनाम में 50,000 रुपये तक की राशि या स्वयंसेवी संस्था द्वारा खरीदी गई गाय देने का वादा किया गया।
भाजपा के एक नेता ने आईएएनएस से कहा, “अगर हम जीतेंगे तो इसकी वजह केंद्र सरकार का काम नहीं, बल्कि मोदी-शाह जोड़ी का सूक्ष्म से सूक्ष्म स्तर पर किया गया प्रबंधन होगा..ये बात पूरी तरह से ऑफ द रिकार्ड है।”