नई दिल्ली, 25 जनवरी (आईएएनएस)। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को कहा कि देश के शासकों को गांधी जी ने एक सरल और शक्तिशाली मंत्र दिया था। समावेशी विकास के माध्यम से गरीबी मिटाने का हमारा संकल्प उस दिशा में एक कदम होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने 66वें गणतंत्र की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि देश के शासकों के लिए गांधी जी का मंत्र सरल और शक्तिशाली था, “जब भी आप किसी शंका में हों.. तब उस सबसे गरीब और सबसे निर्बल व्यक्ति का चेहरा याद करें जिसे आपने देखा हो और फिर खुद से पूछें.. क्या इससे भूखे और आध्यात्मिक क्षुधा से पीड़ित लाखों लोगों के लिए स्वराज आएगा”।
राष्ट्रपति ने कहा कि 26 जनवरी का दिन हमारे देश की स्मृति में एक चिरस्थाई स्थान रखता है क्योंकि यही वह दिन है जब आधुनिक भारत का जन्म हुआ था।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी के नैतिक तथा राजनीतिक नेतृत्व के अधीन राष्ट्रीय कांग्रेस ने अंग्रेजी राज से पूरी स्वतंत्रता की मांग करते हुए दिसंबर, 1929 में पूर्ण स्वराज का संकल्प पारित किया था। 26 जनवरी, 1930 को गांधी जी ने पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस के रूप में राष्ट्रव्यापी समारोहों का आयोजन किया था। उसी दिन से, देश तब तक हर वर्ष इस दिन स्वतंत्रता संघर्ष को जारी रखने की शपथ लेता रहा जब तक हमने इसे प्राप्त नहीं कर लिया।
उन्होंने कहा कि ठीक बीस वर्ष बाद 1950 में हमने आधुनिकता के अपने घोषणापत्र, संविधान को अंगीकार किया। यह विडंबना थी कि गांधी जी दो वर्ष पूर्व शहीद हो चुके थे परंतु आधुनिक विश्व के सामने भारत को आदर्श बनाने वाले संविधान के ढांचे की रचना उनके ही दर्शन पर की गई थी। इसका सार चार सिद्धांतों पर आधारित है: लोकतंत्र; धर्म की स्वतंत्रता; लैंगिक समानता; तथा गरीबी के जाल में फंसे लोगों का आर्थिक उत्थान। इन्हें संवैधानिक दायित्व बना दिया गया था।
उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर, मैं भारत और विदेशों में बसे आप सभी को हार्दिक बधाई देता हूं। मैं, हमारी सशस्त्र सेनाओं, अर्ध-सैनिक बलों तथा आंतरिक सुरक्षा बलों के सदस्यों को अपनी विशेष बधाई देता हूं।