न्यूयार्क, 22 फरवरी (आईएएनएस)। एक नए शोध से यह बात सामने आई है कि आर्थिक तनाव के कारण नींद के अभाव से गुजरने वाले, अपनी आर्थिक स्थिति के साथ सहज रूप से रहने वालों की तुलना में अधिक शारीरिक पीड़ा का अनुभव करते हैं।
इस शोध के परिणामों से पता चलता है कि अपने जीवन पर नियंत्रण की कमी का अनुभव भी इसका एकमात्र कारण हो सकता है।
आर्थिक असुरक्षा की भावना लोगों के जीवन पर उनके नियंत्रण में कमी ला सकती है, जिसके कारण चिंता, भय, तनाव और संबंधित मानसिक प्रक्रियाओं को सक्रिय कर सकती है।
अमेरिका में वर्जीनिया युनिवर्सिटी से मुख्य लेखिका एलीन चोउ ने कहा, “हमारे शोध परिणाम से पता चला है कि आर्थिक असुरक्षा की भावना शारीरिक तौर पर नुकसान पहुंचाती है।”
‘जर्नल ऑफ साईकॉलजी साइंस’ में प्रकाशित शोध में चाउ ने कहा, “छह अध्ययनों से प्राप्त परिणाम से यह साबित हुआ है कि आर्थिक असुरक्षा से शारीरिक पीड़ा पैदा होती है, जिसके कारण सहनशीलता कम होती है और पीड़ा कम करने की दवाओं के सेवन में वृद्धि भी हो सकती है।”
इस शोध में आर्थिक असुरक्षा का बढ़ना और दूसरा शारीरिक पीड़ा का बढ़ना- इन दो रुझानों पर नजर रखी गई।
प्रयोगशाला आधारित अध्ययन के सबूतों से यह सामने आया है कि पीड़ा की सहनशीलता आर्थिक असुरक्षा से जुड़ी हुई हो सकती है।
इस शोध के दौरान जिन लोगों को अनिश्चित रोजगार के बाजार के बारे में सोचने के लिए कहा गया था, उनकी पीड़ा सहन करने की शक्ति में गिरावट देखी गई। यह भी देखा गया कि ये लोग कितनी देर तक अपने हाथों को बर्फ से भरी बाल्टी में रख सकते हैं।
इसके उलट जिन लोगों को स्थिर रोजगार के बारे में सोचने के लिए कहा गया, उनकी पीड़ा सहन करने की शक्ति में कोई बदलाव नहीं देखा गया।