मुंबई, 19 मार्च (आईएएनएस)। हीरो इंडियन सुपर लीग का पांचवां सीजन खत्म हो चुका है। एक बार नजर डालते हैं कि किस टीम का प्रदर्शन कैसा रहा। बेंगलुरू एफसी निश्चित ही खिताब की हकदार थी लेकिन इस सीजन में मौजूदा विजेता के तौर पर उतरने वाली चेन्नइयन एफसी अंकतालिका में सबसे नीचे रही।
बेंगलुरू एफसी : चैम्पियनों की तरह खेली
अल्बर्ट रोका के स्थान पर टीम को कोच बने कार्लोस कुआड्राट का पहला मकसद था कि वह पिछले सीजन के मुकाबले टीम के प्रदर्शन को बेहतर करें। कुआड्राट ने टीम में एक ऐसी शैली को लागू किया जो न सिर्फ देखने में शानदार लगती थी बल्कि मैदान पर उसने पहले से कई अच्छी व्यवहारिक एप्रोच को लागू किया। बेंगलुरू में टीमवर्क, लड़ने की भावना और प्रतिभा ने हाथ में हाथ मिलाकर काम किया और इसी कारण टीम आईएसएल के फाइनल में एफसी गोवा को मात देकर खिताब जीतने में सफल रही।
एफसी गोवा : प्रभावशाली एंटरटेनर
गोवा की टीमों ने भारतीय फुटबाल में हमेशा नाम कमाया है, लेकिन एफसी गोवा ने आईएसएल के बीते दो सीजनों में जो प्रदर्शन किया है वह उससे अपने आप को नए मुकाम पर ले गई है। कोच सर्जियो लोबेरा ने बीते सीजन की टीम के अधिकतर खिलाड़ियों को इस साल भी अपने साथ बनाए रखा और उनके अंदर स्पेनिश फुटबाल को रमा कर दिया। सिर्फ कमजोर डिफेंस ने कहीं न कहीं गोवा को पीछे धकेला, लेकिन जब लोबरा ने माउदर्ता फॉल और कार्लेस पेना को अपने साथ जोड़ा तो यह कमी भी पूरी हो गई। मंडार राव देसाई को लेफ्ट बैक और ह्यूगो बाउमाउस को बेंच से उठा कर असरदरा तरीके से उपयोग करना गोवा के लिए अच्छा साबित हुआ। गोवा की टीम बेशक फाइनल में हार गई हो लेकिन यह सीजन उसके लिए यादगार रहा है।
मुंबई सिटी : एक मंजी हुई टीम
मुंबई सिटी एफसी को प्लेऑफ में पहुंचाने में उसके विदेशी खिलाड़ियों का अहम योगदान रहा। खराब शुरूआत के बाद टीम के खिलाड़ियों ने वापसी की और अपने आप को साबित किया। सेमीफाइनल के पहले चरण में एफसी गोवा ने उसे 5-1 से मात दी थी और यहीं उसका सफर खत्म होना तय हो गया था, लेकिन मुंबई अपनी कोर टीम को बनाए रखती है तो उनका भविष्य अच्छा होगा।
नार्थईस्ट युनाइटेड : फरारी में तब्दील हो ही गई थी
कोच एल्को स्कोटेरी की नार्थईस्ट युनाइटेड चोटों और प्रतिबंधों से जूझती रही। खासकर डिफेंस में। फिर भी टीम संयोजन और टीम प्रबंधन ने टीम को लीग में बनाए रखा और टीम पहली बार प्लेऑफ में जाने में सफल रहीं। मिस्लाव कोर्मोस्की, बाथोर्लोमेव ओग्बेचे, रोवलिन बोर्जेस और फ्रेडेरिको गालेगो की अहम समय पर लगी चोटों ने हालांकि टीम के लिए मुसीबतें खड़ी कीं। नार्थईस्ट का यह सीजन सकारात्मक रहा और वह अब कुछ अच्छा हासिल करने की उम्मीद कर सकती है।
जमशेदपुर एफसी : मिला जुला रहा सीजन
कई तरह के गतिरोधों ने जमशेदपुर की अच्छी शुरूआत को निराशाजनक सीजन में तब्दील कर दिया और टीम प्लेऑफ में जाने से चूक गई। वह हालांकि अंत क अंतिम-4 में जाने की दावेदार थी और उसकी टीम में कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी थे। माइकल सोइसाइराज और तिरी ने इस सीजन शानदार प्रदर्शन किया। टिम काहिल और सर्जियो सिंडोचा का सफर चोटों से प्रभावित रहा, लेकिन मारियो आक्र्वेस और मेमो ने मिडफील्ड में शानदार साझेदारी बनाई। मेन ऑफ स्टील का सीजन हालांकि प्लेऑफ में जगह नहीं बना पाई।
एटीके : उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकी
एटीके की टीम स्टार खिलाड़ियों से भरी हुई थी और उसकी बेंच पर वो खिलाड़ी बैठे थे जो अगर आईएसएल में दूसरी टीमों में होते तो अंतिम-11 का हिस्सा होते। कोलकाता के इस क्लब की चोटों की परेशानी बीते सीजन से जारी थी और इस सीजन भी उसने पीछा नहीं छोड़ा। उन्हें एक गोलस्कोरर की सख्त जरूरत थी। स्टीप कोपेल की टीम बैक में शानदार थी। टीम के पास आंद्रे भिके और जॉन जॉनसन थे जो कोच की साख के मुताबिक अच्छा काम कर रहे थे। लेकिन कालू ऊचे और इमिलियानो एल्फारो की चोटों ने कोच को रणनीति को हालांकि बदलने पर मजबूर कर दिया। ईदू गार्सिया और मैनुएल लैंजारोत के खेल में निरंतरता नहीं थी, लेकिन कोमल थटाल और अंकित मुखर्जी की खोच टीम के लिए सकारात्मक साबित हुई।
पुणे सिटी : समय पर नहीं कर सकी वापसी
शुरूआती तीन मैचों में कोचिंग स्टाफ में बदलाव के बाद पुणे की टीम जीत हासिल नहीं कर पाई और साथ ही लय भी नहीं पकड़ सकी। अंतरिम कोच प्रद्यूमन रेड्डी ने हालांकि टीम को लीग के मध्य तक किसी तरह संभाले रखा और फिर फिल ब्राउन ने मुख्य कोच की जिम्मेदारी संभाली। पुणे की टीम अपने आखिरी आठ मैचों में सिर्फ एक मैच हारी। उसने बताया कि यह टीम प्लेऑफ के लिए लड़ाई कर सकती है, हालांकि वह अंतिम-4 में जगह नहीं बना पाई लेकिन वह अगले सीजन में इसकी मजबूत कोशिश जरूर कर सकती है।
दिल्ली डायनामोज : युवा, उर्जावान लेकिन प्रदर्शन में कमजोर
दिल्ली की टीम ने धीमी शुरूआत की क्योंकि टीम नए कोच जोसेफ गोमबाउ की शैली को अपना रही थी। लेकिन जब तक टीम ने उनकी शैली अपनाई तब तक वह अंकतालिका में काफी पीछे हो गई थी। टीम ने हालांकि युवा खिलाड़ियों के साथ काफी सकारात्मकता दिखाई और जब अपनी पूरी क्षमता के साथ फुटबाल खेली तो कई लोगों को प्रभावित भी किया। टीम ने अपनी सर्वश्रेष्ठ फुटबाल लीग के दूसरे हाफ में खेली। गोमबाउ ने टीम में कोर खिलाड़ियों को बनाने पर ध्यान दिया। लालइनजुआला चांग्ते, नंदकुमार सेकर, डेनियल लालहिपुइया और वीनीत राय कुछ ऐसे युवा खिलाड़ी हैं जो अगले सीजन में अपनी इच्छाएं पूरी करना चाहेंगे।
केरला ब्लास्टर्स : लगातार दूसरा सीजन रहा बेकार
बीते सीजन में प्लेऑफ में जगह बनाने से चूकने वाली ब्लास्टर्स ने इस सीजन की शुरूआत नई उम्मीद के साथ की थी, लेकिन एटीके के खिलाफ खेले गए पहले मैच के बाद से टीम दिन ब दिन पीछे होती चली गई और लगातार 14 मैचों में जीत हासिल नहीं कर सकी। इससे उसकी इस सीजन में भी अंतिम-4 में जाने की उम्मीदें खत्म हो गईं। इस सीजन उसके हिस्से सिर्फ दो जीतें ही आईं। गोलों की कमी और सही खिलाड़ी की गैरमौजूदगी ने ब्लास्टर्स को निराश किया और टीम नौवें स्थान पर रही। इस सीजन में उसके लिए एक सकारात्मक पहलू सहर अब्दुल समाद की खोज रही जिन्होंने मिडफील्ड में शानदार काम किया और इसी कारण वह आईएसएल के पांचवें सीजन के इमरजिंग प्लेयर ऑफ द सीजन चुने गए।
चेन्नइयन एफसी : अर्श से फर्स
मौजूदा विजेता चेन्नइयन एफसी की शुरूआत बेहद खराब रही इससे जॉन ग्रेगोरी की टीम कभी उबर नहीं पाई। टीम ने इस सीजन सिर्फ दो मैच ही जीते। एक जीत उसे छह मैचों के बाद मिली वो भी तब जब सीजन की समाप्ति में सिर्फ तीन मैच बचे थे। चेन्नइयन के अटैक में ज्यादा कमी नहीं थी। मैदान पर इस सीजन वह एक अलग तरह की टीम लग रही थी। हेनरिक सेरेनो और धनपाल गणेश के जाने से हालांकि उसे झटका लगा। इसके बाद जो समस्या आई उसका कोच समाधान नहीं निकाल सके। टीम का डिफेंस हालांकि कमजोर रहा। जेजे लालपेखुलवा एंड कंपनी की टीम गोल नहीं कर पाईं।