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 शहर से करीब होकर भी विकास से कोसों दूर है चेनचू जनजाति | dharmpath.com

Monday , 25 November 2024

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शहर से करीब होकर भी विकास से कोसों दूर है चेनचू जनजाति

tribals2वारंगल (तेलंगाना) वे शहर से करीब ही रहते हैं लेकिन फिर भी वे विकास से कोसों दूर हैं। वे समाज की मुख्यधारा से कटे रहकर गरीबी और अमानवीय हालत में जीवनयापन करते हैं। वारंगल से 45 किलोमीटर दूर स्थित दो गांवों में रहने वाले चेनचू जनजातीय लोगों की यही दास्तां है।

चेन्नापुर जनजातीय गांव के 57 चेनचू परिवारों की हालत यह है कि वे शिकार किए गए चूहों, कुत्तों, बिल्लियों, गिलहरियों व अन्य जानवरों को खाकर जिंदा रहते हैं। यही हाल भावुसिंगपिल्ले गांव के अन्य 24 परिवारों का भी है।

इन लोगों तक विकास का रथ नहीं पहुंचा है। इनमें से अधिकांश तो अब तक गांव से बाहर भी नहीं निकले थे। बीते सप्ताह तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष एस. मधुसूदन चारे इन्हें वारंगल लेकर आए थे।

दूसरे अन्य लोगों के तरह चेनचू कालोनी के स्वामी को अपनी उम्र पता नहीं। वह कहते हैं, “मैं नहीं जानता। यही को 40 या 50 की उम्र होगी।” स्वामी और उनकी पत्नी मजदूरी कहते हर महीने 250 रूपये कमाते हैं और अपने परिवार के चार सदस्यों का भरणपोषण करते हैं।


दूसरे अन्य लोगों के तरह चेनचू कालोनी के स्वामी को अपनी उम्र पता नहीं। वह कहते हैं, “मैं नहीं जानता। यही को 40 या 50 की उम्र होगी।” स्वामी और उनकी पत्नी मजदूरी कहते हर महीने 250 रूपये कमाते हैं और अपने परिवार के चार सदस्यों का भरणपोषण करते हैं।

स्वामी कुछ समय पहले तक चेन्नापुर गांव के सरपंच थे। लोगों का कहना है कि वह इसलिए सरपंच चुने गए क्योंकि यह सीट जनजातीय लोगों के लिए आरक्षित है लेकिन अन्य लोगों ने उनके बदले सत्ता का सुख लिया।

चेनचू लोगों के यह पता नहीं कि उन्हें वारंगल क्यों लाया गया। बंदीकोराम्मा कहते हैं, “मुझे पता नहीं कि हमें शहर क्यों लाया गया। हमें बस में डालकर यहां लाया गया और मैं अपने पूरे परिवार के साथ यहां पहुंचा हूं।”

चेन्नापुर में रहने वाले पूर्व सरपंच एल. राजी रेड्डी कहते हैं, “ये तेलुगू बोलते हैं लेकिन जब वे अपने गांव जाते हैं तब ये कुछ नहीं बताते और बाहरी लोगों को देखकर घबरा जाते हैं। वे अपनी संस्कृति को बचाए रखना चाहते हैं लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि मुख्य धारा से कटे रहने के कारण ही वे विकास नहीं कर पा रहे हैं। इनमें इनका भी कोई दोष नहीं क्योंकि कई सरकारें आई लेकिन कोई भी इन तक विकास नहीं पहुंचा सकीं।”

चारी ने इन लोगों के उत्थान के लिए कुछ करने की ठानी है और इसी क्रम में वह इन्हें वारंगल लेकर आए, जिससे कि दुनिया को इनके बारे में पता चल सके। चारी कहते हैं, “मैंने इनसे वादा किया है कि मैं इनकी बेहतरी के लिए जो कुछ हो सकेगा, करूंगा। मैं अपना वादा निभा रहा हूं।”

शहर से करीब होकर भी विकास से कोसों दूर है चेनचू जनजाति Reviewed by on . वारंगल (तेलंगाना) वे शहर से करीब ही रहते हैं लेकिन फिर भी वे विकास से कोसों दूर हैं। वे समाज की मुख्यधारा से कटे रहकर गरीबी और अमानवीय हालत में जीवनयापन करते है वारंगल (तेलंगाना) वे शहर से करीब ही रहते हैं लेकिन फिर भी वे विकास से कोसों दूर हैं। वे समाज की मुख्यधारा से कटे रहकर गरीबी और अमानवीय हालत में जीवनयापन करते है Rating:
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