संयुक्त राष्ट्र, 15 मई (आईएएनएस)। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि वैध और अवैध आव्रजन के बीच अंतर करना जरूरी है नहीं तो कानून का पालन करने वाले आव्रजकों को नुकसान पहुंचने और आपराधिक मानव तस्करी नेटवर्क को फायदा मिलने का जोखिम पैदा हो सकता है।
संयुक्त राष्ट्र, 15 मई (आईएएनएस)। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कहा कि वैध और अवैध आव्रजन के बीच अंतर करना जरूरी है नहीं तो कानून का पालन करने वाले आव्रजकों को नुकसान पहुंचने और आपराधिक मानव तस्करी नेटवर्क को फायदा मिलने का जोखिम पैदा हो सकता है।
भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि तन्मय लाल ने सोमवार को कहा कि कुछ देशों द्वारा अवैध आव्रजन पर ध्यान केंद्रित करने से आव्रजन पर वैश्विक प्रभाव पड़ रहा है।
आव्रजन पर वैश्विक प्रभाव को लेकर अंतर-सरकारी बातचीत के सत्र में उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है, नकरात्मक बयान कभी भी फायदेमंद साबित नहीं होते हैं, बल्कि यह वास्तविक हितों और नियमित, वैध आव्रजकों की चिंताओं को नुकसान पहुंचाते हैं। वैध आव्रजकों का अपने मूल देशों और जहां वह रह रहे हैं, वहां उनका योगदान महत्वपूर्ण है लेकिन उनके जोखिमों को नजरअंदाज किया जाता है।” आव्रजन पर वैश्विक प्रभाव के मसौदे को दिसंबर में मोरक्को के मराकश में अपनाया जाना है।
उन्होंने कहा, “इस पर जोर देने और यह स्पष्ट करने की जरूरत है कि अवैध आव्रजकों की इस श्रेणी के साथ वैध आव्रजकों पर बने राष्ट्रीय कानून के तहत व्यवहार नहीं किया जा सकता।”
लाल ने कहा, “आपराधिक नेटवर्क अवैध आव्रजन में संलिप्त हैं और उन्हें हराने की चुनौती में सभी देशों को साथ मिलकर सहयोग करना चाहिए।”
कई सामाजिक संगठन, कुछ अंतर्राष्ट्रीय नेता और संयुक्त राष्ट्र की कुछ शाखाएं भी वैध व अवैध आव्रजन और शरणार्थियों की श्रेणी के बीच भेद को समाप्त करने का प्रयास कर रही हैं।