आगरा, 29 फरवरी (आईएएनएस)। विहिप नेता की हत्या के चार दिनों बाद आगरा में सोमवार को सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया।
सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि शहर में स्थिति तनावपूर्ण है और मृतक नेता की तेरहवीं से पहले तेजी से गंभीर होती स्थिति से आशंका है कि राज्य सरकार के खिलाफ बड़ा विरोध हो। इस दुखद घटना से हिन्दूवादी संगठनों के सभी कार्यकर्ता एकजुट हो गए हैं, जो 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए संकेत हो सकता है।
शहर के नाई की मंडी और मनटोला पुलिस थाना क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए हैं। त्वरित कार्रवाई बल की तैनाती और अधिकारियों की 24 घंटे निगरानी स्थिति को और बिगड़ने से रोकने में सहायक हुई है।
लेकिन रविवार को मृत विहिप नेता की शोकसभा में भाजपा नेताओं -जिनमें केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री राम शंकर कथेरिया, स्थानीय विधायक और भेष बदलकर आईं विश्व हिन्दू परिषद की नेता साध्वी प्राची- के उत्तेजक भाषणों से शहर में तनाव और भी बढ़ गया।
विदित हो कि विहिप उपाध्यक्ष अरुण माहौर की हत्या गुरुवार को उस समय भीड़ भरे बाजार में कर दी गई, जब वह बाजार से लौट रहे थे। इस घटना के बाद से शहर में भाजपा और अन्य हिन्दूवादी संगठनों के नेताओं का जमावड़ा होने लगा।
भजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को आगरा आने से रोकने के लिए उन्हें कासगंज में ही गिरफ्तार कर लिया गया। भाजपा के अन्य नेताओं पर भी कड़ी नजर रखी जा रही है।
बजरंग दल के नेता प्रेमेंद्र जैन ने आईएएनएस से कहा, “जब प्रशासन ने हमलोगों को मृत नेता के घर पर बैठक करने की इजाजत नहीं दी तो जयपुर हाउस कॉलोनी स्थित रामलीला मैदान में सभा आयोजित की गई, जिसमें हजारों की संख्या में लोग एकत्रित हुए।”
साध्वी प्राची ने कहा कि राज्य में स्थिति जम्मू एवं कश्मीर से भी बदतर है, जबकि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुस्लिम तुष्टिकरण में व्यस्त हैं। उधर केंद्रीय मंत्री राम शंकर कथेरिया ने शासन पर आरोप लगाया कि वह हिन्दू विरोधी ताकतों के साथ मिलकर षड्यंत्र रच रहा है।
फतेहपुर सीकरी से भाजपा सांसद चौधरी बाबू लाल ने प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर उनका पक्षपातपूर्ण रवैया जारी रहा तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।