मऊ। स्थानीय तहसील क्षेत्र के ग्रामसभा दरगाह में महान सूफी सैयद मीरा शाह बाबा की मजार के बगल में स्थित तालाब अपनी स्थापना से लेकर अब तक लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। यह पाताल गंगा के नाम से जाना जाता है। कई विशेषताओं को समेटे इस तालाब की ख्याति दूर तलक है। इसके वजूद में आने की कहानी भी बड़ी अद्भुत है। किंवदंती है कि एक दिन मीरा शाह बाबा ने सुबह दातून कर उसे एक जगह जमीन में गाड़ दिया।
दूसरे दिन वहां से पानी निकलना शुरू हो गया। कुछ ही दिनों में इसने तालाब का रूप ले लिया। तब से अब तक इसका पानी नहीं सूखा। हालांकि इस बीच क्षेत्र के लोगों को कई बार भीषण सूखे का सामना करना पड़ा मगर मीरा शाह का करम इस पर बना रहा। मौसम चाहे जो भी हो तालाब में पानी हमेशा बना रहता है।
रोगों का होता है इलाज: विज्ञान के इस दौर में इसे लोगों की आस्था कही जाए या बाबा का चमत्कार, चर्म संबंधित कई बीमारियां केवल तालाब के पानी से धो देने पर ही ठीक हो जाती हैं।
कुत्ते के काटने पर लोग भले ही एंटीरैबीज इंजेक्शन लगवा लें, लेकिन तालाब के पानी से काटी गई जगह को धोना नहीं भूलते। लोगों की आस्था यह है कि बाबा की करामात धोखा नहीं कर सकती। दोनों जगह लगाते हैं हाजिरी
मधुबन (मऊ)। मीरा शाह बाबा की मजार पर मत्था टेकने वाले जायरीन उनकी करामात से वजूद में आए इस तालाब पर हाजिरी लगाना नहीं भूलते। इनकी मानें तो इसके पानी से हाथ-मुंह धो लेने पर एक अलग तरह का सकून मिलता है।