नई दिल्ली, 27 जनवरी (आईएएनएस)। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने भारत दौरे के आखिरी दिन मंगलवार को अपने संबोधन में अमेरिकी शहर शिकागो में स्वामी विवेकानंद के भाषण का जिक्र कर और चर्चित फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ के लोकप्रिय संवाद बोलकर लोगों का दिल जीत लिया।
सिरीफोर्ट ऑडिटोरियम में अपने संबोधन के दौरान जहां ओबामा ने भारत-अमेरिका के मजबूत संबंधों पर जोर देते हुए इसे ’21वीं सदी की निर्णायक साझेदारी’ करार दिया, वहीं महिला सशक्तीकरण व सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता पर भी जोर दिया। यहां करीब 2,000 युवाओं, छात्रों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के सदस्यों तथा कूटनीतिज्ञों की भीड़ को संबोधित करते हुए ओबामा ने ‘रॉयाल एनफील्ड’ मोटरसाइकिलों के करतब की प्रशंसा की और इच्छा जताई कि काश वह भी इसकी सवारी कर पाते।
बकौल ओबामा, सुरक्षा करणों से उन्हें इसकी अनुमति नहीं है। यहां तक कि उन्हें पत्नी मिशेल के साथ नृत्य करने की अनुमति भी खुफिया सेवा ने नहीं दी है।
ओबामा ने अपने संबोधन में भारत और अमेरिका के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन, रक्षा सहयोग, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा साझेदारी की आवश्यकता का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने इसका भी उल्लेख किया कि अमेरिका किस प्रकार भारत के विकास में साझीदार हो सकता है। उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि दोनों देशों के संविधान में लिखित धार्मिक स्वतंत्रता को सरकार बरकरार रखे।
ओबामा ने स्वामी विवेकानंद के शिकागो में दिए गए प्रसिद्ध भाषण को भी याद किया, जब उन्होंने वहां की जनता को ‘अमेरिका की बहनों एवं भाइयों’ कहकर संबोधित किया था। ओबामा ने कहा कि वह भी उसी तरह यहां के लोगों को संबोधित करने जा रहे हैं। इसके बाद जैसे ही उन्होंने ऑडिटोरियम में मौजूद भीड़ को ‘भारत की बहनों एवं भाइयों’ कह कर संबोधित किया, ऑडिटोरियम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इसके बाद उन्होंने अपने भाषण के बीच में भी इसका जिक्र किया। उन्होंने इस पर गर्व जताया कि यह प्रसिद्ध भाषण विवेकानंद ने उनके शहर शिकागो में दिया था।
ओबामा ने हिन्दी फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ का प्रसिद्ध संवाद ‘सेनोरिटा, बड़े-बड़े देशों में..’ भी बोला और वहां मौजूद लोगों को अपना मुरीद बना लिया। ओबामा ने जैसे ही कहा, “सेनोरिटा, बड़े-बड़े देशों में..आप मेरे कहने का मतलब जानते हैं”, सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से एक बार फिर गूंज उठा।
ओबामा ने अपने संबोधन में मानवाधिकार तथा घरों को बनाने में महिलाओं की भूमिका का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “हम सभी को एक ऐसे समाज के निर्माण के लिए काम करना चाहिए, जहां सभी के लिए अवसर हों, सभी काम कर सकें, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं।”
उन्होंने अपनी पत्नी मिशेल का जिक्र करते हुए कहा, “मेरी शादी एक बहुत ही मजबूत और प्रतिभावान महिला से हुई है। मिशेल मेरे सामने अपनी बात रखने से कभी नहीं डरतीं।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें दो बेटियों का पिता होने पर गर्व है। साथ ही उन्होंने यह सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया कि महिलाएं सड़कों पर सुरक्षित निकल सकें।
उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस परेड पर महिला अधिकारियों की टुकड़ी देखकर उन्हें बहुत खुशी हुई। उन्होंने खास तौर पर विंग कमांडर पूजा ठाकुर का जिक्र किया, जिन्होंने 25 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में उन्हें दिए गए गार्ड ऑफ ऑनर का आदेश दिया था।
ओबामा ने अपने वर्ष 2010 के भारत दौरे को भी याद किया, जब वह हुमायूं के मकबरे पर गए थे और वहां काम करने वाले कुछ श्रमिकों के परिवारों से मिले थे। उनमें से एक का बेटा विशाल अब 16 साल का हो चुका है। ओबामा ने उसका जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें यह जानकार खुशी हुई कि विशाल पढ़ाई कर रहा है और सुरक्षा बलों से जुड़ना चाहता है। यह यहां छिपी प्रतिभा का एक उदाहरण है।
अमेरिका के राष्ट्रपति के विशेष आमंत्रण पर विशाल और उसका परिवार ऑडिटोरियम में मौजूद था।
अपने संबोधन से पहले ओबामा तथा उनकी पत्नी ने ऑडिटोरियम में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी तथा कुछ अन्य एनजीओ के सदस्यों से मुलाकात की।
सत्यार्थी जब अपने एनजीओ ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ के बच्चों के साथ सभागार में पहुंचे और उनका भी जोरदार स्वागत हुआ।
ओबामा ने कहा कि वह दोनों देशों के भविष्य को लेकर आशान्वित हैं और भारत का साझीदार होने पर उन्हें गर्व है। उन्होंने कहा, “मुझे आपका मित्र बनकर गर्व है। अमेरिका, भारत का सिर्फ ‘स्वाभाविक साझीदार’ नहीं, बल्कि ‘सर्वश्रेष्ठ साझीदार’ बनना चाहता है।”
संबोधन के बाद ओबामा और मिशेल लोगों से मिले, हाथ मिलाए और फोटो भी खिंचवाई। सभागार में मौजूद लोग अपने मोबाइल फोन से तस्वीरें ले रहे थे। वे हर क्षण को कैमरे में कैद कर लेना चाहते थे।