पटना, 21 जून (आईएएनएस)। दुनिया से लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके पक्षी गरुड़ (ग्रेटर एड्ज्यूटेंट) के लिए बिहार का वातावरण अनुकूल माना जा रहा है। यही कारण है कि बिहार में गरुड़ों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। पहले गरुड़ भागलपुर के कुछ क्षेत्रों में दिखाई देते थे, मगर अब यह खगड़िया जिले में भी दिखने लगे हैं।
पटना, 21 जून (आईएएनएस)। दुनिया से लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके पक्षी गरुड़ (ग्रेटर एड्ज्यूटेंट) के लिए बिहार का वातावरण अनुकूल माना जा रहा है। यही कारण है कि बिहार में गरुड़ों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। पहले गरुड़ भागलपुर के कुछ क्षेत्रों में दिखाई देते थे, मगर अब यह खगड़िया जिले में भी दिखने लगे हैं।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, पूर्व में गरुड़ कंबोडिया और असम की ब्रह्मपुत्र घाटी और उसके आसपास ही अपना बसेरा जमाते थे और यहीं प्रजनन करते थे। वैज्ञानिकों को उस समय हैरानी हुई थी, जब वर्ष 2006 में भागलपुर के पास गंगा दियारा क्षेत्र में गरुड़ के घोंसले पाए गए। इसके बाद वैज्ञानिकों के लिए यह स्थान शोध का विषय बन गया।
इंडियन बर्ड कंजरवेशन नेटवर्क के बिहार इकाई के कोऑर्डिनेटर अरविंद मिश्रा ने आईएएनएस को बताया, “ऐसे प्रमाण मिलते हैं कि पिछले दो दशक से इस क्षेत्र में गरुड़ प्रजनन के लिए आते हैं। ये अलग बात है कि इस पर हमलोगों की नजर 2006 में गई।”
वह कहते हैं कि वर्ष 2006-7 में सुल्तानगंज प्रखंड के गंगा दियारा क्षेत्र के नया टोला मोतीचक गांव में तथा नवगछिया प्रखंड के कोसी दियारा क्षेत्र के कदवा और खैरपुर पंचायत के विभिन्न गांवों में गरुड़ के 16 घोंसले पाए गए थे और 78 गरुड़ों का अनुमान लगाया गया था।
इसके बाद पक्षी वैज्ञानिकों और पक्षी प्रेमियों की नजर इस इलाके में पड़ी और स्थानीय लोगों को इस विलुप्तप्राय पक्षी को संरक्षित करने के लिए जागरूक किया गया। इसके बाद आज इस इलाके में गरुड़ों की संख्या करीब 450 से 500 तक पहुंच गई है।
गरुड़ों ने उत्तर बिहार के कोसी और गंगा के दियारा क्षेत्र में अपने वंशवृद्धि के लिए स्थान खोज लिया है।
बिहार राज्य पर्यावरण एवं वन विभाग के मुताबिक, इस समय दुनियाभर में केवल 1200 से 1300 गरुड़ ही बचे होंगे, जिनमें से 100 से 150 गरुड़ कंबोडिया में तथा अन्य भारत में हैं। देश में गरुड़ों की सबसे अधिक संख्या असम में है।
बिहार के प्रधान मुख्य वन संरक्षक बी़ ए़ खान कहते हैं, “गरुड़ों की संख्या मे वृद्धि बिहार के लिए गौरव की बात है। राज्य में गरुड़ों के प्रजनन कार्यक्रम को और तेज किया जा रहा है। इस दौरान राज्य के भागलपुर में गरुड़ों के इलाज के लिए एक अस्पताल भी बनवाया गया है। घायल गरुड़ों के इलाज के लिए यहां पूरी सुविधा है।”
उन्होंने बताया कि कि पूर्व में गरुड़ों का घोंसला भागलपुर के क्षेत्रों में दिखाई देता था, लेकिन अब खगड़िया जिले के बेल्दौर प्रखंड के रामनगर में इनका घोंसला दिखा है।
मिश्रा मानते हैं कि यह इलाका गरुड़ के प्रजनन के लिए उपयुक्त वातावरण देता है और प्रजनन के लिए सुरक्षित माना जा रहा है। वह कहते हैं कि स्थानीय समुदाय के संरक्षण के संकल्प, सही वातावरण और भेाजन की सुलभता इनके यहां बसने का मुख्य कारण है। वैसे, वह यह भी मानते हैं कि गरुड़ों के संरक्षण में स्थानीय लोगों का सहयोग और सुरक्षा प्रदान करना इनकी संख्या में वृद्धि का एक सबसे बड़ा कारण है।
माना जाता है कि गरुड़ मुख्य रूप से दक्षिण एशिया में ही मिलते हैं। इनके भोजन में मछली, मेढ़क, सांप, चूहे और यदा-कदा मृत पशु शामिल हैं। आमतौर पर एक वयस्क गरुड़ की ऊंचाई चार फीट होती है तथा वजन करीब 11 किलेग्राम होता है।