नोएडा, 5 अप्रैल (आईएएनएस)। सहाकारिता के क्षेत्र की प्रमुख कंपनी अमूल के प्रबंध निदेशक आर. एस. सोढ़ी ने विफलता को जीवन का एक हिस्सा मानकर इसे स्वीकार करने की सलाह विद्यार्थियों व युवाओं को दी है।
सोढ़ी ने शनिवार देर शाम यहां बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी (बिमटेक) के 27वें दीक्षांत समारोह में प्रबंध स्नातक बनने जा रहे 405 छात्रों के बीच कहा, “विफलता को जीवन का एक हिस्सा मान कर स्वीकार करें। विफलता का भय व्यक्ति की गतिविधियों को सीमित कर देता है। विफलता से सबक लेने के बाद इसे नई शुरुआत करने के अवसर की तरह स्वीकार करें।”
सोढ़ी ने प्रबंध स्नातकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा, “अपने काम के प्रति जोशीला बनें। लंबी अवधि के लक्ष्यों पर ध्यान देने के लिए अधीरता छोड़ दें और ईमानदारी पर बनी मूल्य-व्यवस्था का पालन करें।”
सोढ़ी ने गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के संस्थापक डॉ. वर्गीज कुरियन के साथ नजदीक से काम करने के दौरान सीखी बातों का जिक्र करते हुए युवाओं से अपील की कि वे थोड़े समय में सफलता नहीं मिलने से निराश न हों, क्योंकि विफलता से मिलने वाले अनुभव भी उतने ही कीमती होते हैं।
सोढ़ी ने कहा कि अमूल सी2सी (काऊ टू कंज्यूमर, यानी, गाय से उपभोक्ता) के क्षेत्र में था। ‘राष्ट्र का दूधवाला’ की जो उपाधि पहले डॉ. कुरियन के लिए इस्तेमाल की जाती थी, उसका प्रयोग अपने लिए करते हुए सोढ़ी ने कहा कि 35 लाख किसानों के स्वामित्व वाले 31,000 करोड़ रुपये के सहकारी संस्थान का नेतृत्व करने का मतलब है किसानों से ‘अधिकतम संभव’ मूल्य पर दूध लेकर उपभोक्ताओं को सबसे उचित दर पर उपलब्ध कराना। यह सफलता के कॉरपोरेट सिद्धांत के खिलाफ है।
उन्होंने याद किया कि कैसे 1970 के दशक में एक स्कूली छात्र के रूप में वह दिल्ली में कतार में लग कर दूध लेते थे और उस समय से देश की आबादी तिगुनी हो जाने के साथ ही अमूल की शुरू की हुई दुग्ध क्रांति के चलते दूध की खपत भी तिगुनी हो गई है।
दीक्षांत समारोह में ऊंची कामयाबियां हासिल करने वाले सात छात्रों – जिज्ञासा गौतम, महिमा कपूर, दिब्यांशु त्रिपाठी, देवांशी पाठक, ऋतिका जैन, आज्ञापाल सिंह और श्रुति सिंह को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।
बिमटेक के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य ए. के. अग्रवाल ने बताया कि बिमटेक के पूर्व छात्रों की संख्या 5000 को पार कर गई है।