मुंबई, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। भारतीय नौसेना ने अपने नए व अब तक के सबसे बड़े विध्वंसक युद्धपोत ‘विशाखापट्टनम’ का सोमवार को एक समारोह के तहत जलावतरण किया, जो परमाणु, जैविक व रासायनिक हमलों के हालात में भी काम करने में सक्षम है।
नौसेना प्रमुख सी.के.धवन की पत्नी मीनू धवन ने नौसेना, रक्षा विभाग के शीर्ष अधिकारियों और असैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में इस युद्धपोत का जलावतरण किया।
कोलकाता क्लास पी-15बी परियोजना के तहत 163 मीटर लंबा व 7,300 टन वजनी यह पोत स्वदेश निर्मित है और भारतीय नौसेना की ताकत में उल्लेखनीय इजाफा करेगा। यह साल 2018 में भारतीय नौसेना में औपचारिक तौर पर शामिल किया जाएगा।
एक अधिकारी के मुताबिक, कोलकाता श्रेणी के पास पूर्ण वातावरण नियंत्रण प्रणाली (टीएसी) नहीं थी, जबकि विशाखापत्तनम में यह मौजूद है।
टीएसी प्रणाली किसी भी तरह के परमाणु, रासायनिक या जैविक हमले के माहौल में अपनी कार्रवाई को अंजाम देने में सक्षम है।
विशाखापत्तनम कई स्वदेशी हथियार प्रणाली से सुसज्जित है और इसमें एक इजरायली मल्टी फंक्शन सर्विलांस थ्रेट अलर्ट राडार (एमएफ-एसटीएआर) लगा है, जो सतह से हवा में लंबी दूरी तक मार करने वाली बराक 8 श्रेणी की 32 मिसाइलों को निशाने की समस्त सूचनाएं प्रदान करेगा।
इसके अलावा, विशाखापत्तनम आठ ब्रह्मोस मिसाइल, 127 मिलीमीटर की एक बंदूक, 30 मिलीमीटर की चार रैपिड फायर बंदूकों से सुसज्जित है। यह 30 नॉट्स से अधिक रफ्तार से चल सकता है।
इस पोत में 250 नाविक, 50 अधिकारी आ सकते हैं। यह भारतीय नौसेना के डायरेक्टॉरेट ऑफ नेवल डिजाइन द्वारा डिजाइन किया गया है।
विशाखापत्तनम का निर्माण मझगांव डॉक्स लिमिटेड द्वारा किया गया है, जो युद्ध पोत बनाने वाली भारत की महत्वपूर्ण गोदी है। यहां चार अन्य युद्ध पोत तथा छह पनडुब्बियों का निर्माण हो रहा है।