अनिल सिंह-विधानसभा से (भोपाल)-आज विधानसभा में जनहित के सवालों के जवाब और उनका हल निकालने के लिये मंत्री कितने जागरूक हैं यह देखने में आया,मंत्री गोपाल भार्गव ने 19 प्रश्नों का जवाब दिया,जो एक रिकॉर्ड है,मंत्री जी ने सभी प्रश्नों के उत्तर दिये लेकिन सब गोल-मोल,सब का एक ही उत्तर रहा की जांच करवायेंगे,एक प्रश्न के उत्तर में उन्होने समय सीमा दी वह भी दो महीने की,सारा तंत्र पास होते हुए भी एक छोटी सी जांच के लिये 2 महीने यह मजाक से काम नहीं प्रतीत हुआ.
विधायक जनहित के प्रश्न पूछते हैं.जिन तरह के प्रश्न अभी तक विधानसभा में आ रहे हैं उनसे मध्यप्रदेश की प्रशासनिक अक्षमता ही सामने आ रही है,कई प्रश्नों में तो वे जिनके कार्यों के परिणामस्वरूप ये प्रश्न लगते हैं उनकी भी टिप्पणियाँ रहती हैं की प्रश्न लगा कर भी क्या हो जायेगा?
दरअसल ना ही मंत्री चाहते हैं और ना ही अधिकारी इस हेतु जागरूक रहते हैं,सभी मंत्री जांच के लिये तो कहते हैं लेकिन दोष सिद्ध होने पर जिनकी वजह से ये प्रश्न विधानसभा में लाये जाते हैं उनपर कोई कार्यवाही नहीं होती.
विधानसभा में यह हाल हैं तब आप मैदानी स्तरों पर व्यवस्था की कल्पना कर सकते हैं.