पटना, 2 दिसम्बर (आईएएनएस)| शांत, सौम्य और मृदुभाषी और होठों पर मुस्कान, यही कुछ पहचान है सरायरंजन से जनता दल (युनाइटेड) के विधायक और पूर्व मंत्री विजय कुमार चौधरी की। चौधरी को सर्वसम्मति से 16वीं बिहार विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया है।
सदन की कार्यवाही बुधवार को शुरू होते ही चौधरी के अध्यक्ष पद पर आसीन होने की औपचारिक घोषणा कर दी गई।
आठ जनवरी 1957 को समस्तीपुर के केवटा गांव में जन्मे विजय कुमार चौधरी ने अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत भारतीय स्टेट बैंक में पीओ की नौकरी से की थी, परंतु समाज के लिए कुछ करने की तमन्ना के कारण उन्हें नौकरी रास नहीं आई और वह राजनीति में कूद गए।
चौधरी को राजनीति वैसे विरासत में मिली है। उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी जगदीश प्रसाद चौधरी दलसिंहसराय का प्रतिनिधित्व विधानसभा में कर चुके थे।
पिता की मृत्यु के बाद वर्ष 1982 में चौधरी ने कांग्रेस के टिकट पर दलसिंहसराय से चुनाव लड़ा और विजयी भी हुए थे। इसके बाद राजनीति में उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
पटना विश्वविद्यालय से स्नातकोतर तक की पढ़ाई कर चुके चौधरी बिहार प्रदेश कांग्रेस के महासचिव भी रहे। कांग्रेस के टिकट पर तीन बार विधायक रहने के दौरान चौधरी की निकटता नीतीश कुमार से बढ़ती गई।
नीतीश की निकटता के कारण चौधरी जद (यू) में आ गए और वर्ष 2008 में उन्हें जद (यू) का प्रदेश महासचिव और प्रवक्ता बनाया गया। पार्टी के संगठन कार्यों में अपनी अमिट छाप छोड़ने के कारण जद (यू) में पुरस्कार स्वरूप चौधरी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।
वर्ष 2010 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में चौधरी के नेतृत्व में पार्टी ने सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। चौधरी भी इस चुनाव में सरायरंजन से विधायक चुने गए और नीतीश सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। इस सरकार में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के बाद चौधरी को नंबर तीन का दर्जा प्राप्त था।
विजय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और विश्वस्त सलाहकारों में माने जाते हैं। चौधरी ने 2015 के चुनाव में भी समस्तीपुर के सरायरंजन से जीत हासिल की है। बदले राजनीतिक समीकरण में चौधरी बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंच गए।