Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 वाणी के संयम के लिए मौन की साधना | dharmpath.com

Tuesday , 26 November 2024

ब्रेकिंग न्यूज़
Home » फीचर » वाणी के संयम के लिए मौन की साधना

वाणी के संयम के लिए मौन की साधना

meditationnवाणी की शक्ति के संवर्धन की साधना का नाम है-मौन। वाणी के उपयोग से हमारी शक्ति का एक बहुत बड़ा अंश नष्ट हो जाता है। जिस प्रकार इंद्रिय संयम के लिए ब्रह्मचर्य आदि का विधान है, उसी प्रकार वाणी के संयम के लिए मौन की साधना भी बहुत आवश्यक बताई गई है। महात्मा गांधी कहते थे कि मौन सर्वोत्तम भाषण है। अगर आपको बोलना ही हो तो कम से कम बोलो। एक शब्द में काम चल जाए तो दो न बोलो। आध्यात्मिक जीवन के विकास के लिए मौन अति आवश्यक है। आध्यात्मिक साधना में सबसे बड़ी बाधा साधक की वाचालता की होती है, जो विश्वास की सूक्ष्म वाणी और उसके आदेशों को नहीं सुनने देती। मौनावस्था में ही आत्मा की वाणी सुनी जा सकती है। महावीर स्वामी को मौन साधने में बारह वर्ष लगे। जब मौन हुए तभी झूठे ज्ञान से छुटकारा मिला। मौन उस अवस्था को कहते हैं, जो वाक्य और विचार से परे है। यह एक शून्य ध्यानावस्था है, जहां अनंतवाणी की ध्वनि सुनी जा सकती है। आत्मा से और विश्वव्यापी सूक्ष्मशक्ति से मनुष्य तब तक संबंध स्थापित नहीं कर सकता, जब तक वह बाहरी कोलाहल में उलझता होगा।

व्यावहारिक जीवन में भी मौन बहुत से अनर्थो को पैदा होने से रोकता है। समाज में कलह, झगड़े, लड़ाई, विग्रह आदि का आरंभ हमेशा ही वाणी से होता है। एक-दूसरे को भला-बुरा कहने पर ही लोग उत्तेजित होकर अनीति करते हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। इस तरह मौन से किसी भी प्रकार की विग्रह की स्थिति को टाला जा सकता है। मौन की स्थिति में आप दूसरों की बात को अधिक सुन सकते हैं और अपने ज्ञानकोश में अधिक वृद्घि कर सकते हैं। शास्त्रों में तीन तरह के पाप बताए गए है- वाणी से, मन से और कर्म से किए गए दुष्कृत्य। मौन के अवलंबन से हम वाणीकृत पापों से बच सकते हैं।

वाणी के संयम के लिए मौन की साधना Reviewed by on . वाणी की शक्ति के संवर्धन की साधना का नाम है-मौन। वाणी के उपयोग से हमारी शक्ति का एक बहुत बड़ा अंश नष्ट हो जाता है। जिस प्रकार इंद्रिय संयम के लिए ब्रह्मचर्य आदि वाणी की शक्ति के संवर्धन की साधना का नाम है-मौन। वाणी के उपयोग से हमारी शक्ति का एक बहुत बड़ा अंश नष्ट हो जाता है। जिस प्रकार इंद्रिय संयम के लिए ब्रह्मचर्य आदि Rating:
scroll to top