मुंबई, 7 जून (आईएएनएस)। पटकथा लेखिका गजल धालीवाल एक ऐसी कहानीकार हैं, जिन्होंने ‘वजीर’, ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ और ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ जैसी फिल्मों पर काम किया है। हालांकि दुनिया के सामने वह खुद को ट्रांसवीमेन के रूप में पेश करती हैं।
उनका कहना है कि जब तक वह इस समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रही हैं और कई सपने देखने वालों को अगर प्रेरित करती हैं तो उन्हें इस टैग से कोई आपत्ति नहीं है।
उनसे यह पूछे जाने पर कि जब लोग उनके काम से पहले उनकी लैंगिकता के बारे में पूछते हैं तो वह इससे परेशान नहीं होती, इस पर धालीवाल ने आईएएनएस से कहा, “आप जो प्रश्न पूछ रहे हैं वह जटिल है, उसका उत्तर हां या न में नहीं दिया जा सकता। पेशेवर दुनिया में मैं अपने काम की वजह से जाना जाना चाहती हूं, न कि ट्रांसवीमेन के स्टेटस की वजह से। मेरी लैंगिकता सिर्फ मेरी पहचान नहीं बन सकती है, क्योंकि जब मैं एक कहानी लिखती हूं तो उस कहानी का कोई लिंग नहीं होता।”
“मेरे पास कई ऐसे वाजिब कारण हैं जिसकी वजह से मुझे ट्रांसवीमेन के टैग से कोई आपत्ति नहीं है।”