नई दिल्ली, 17 जनवरी (आईएएनएस)। सफदर हाशमी मेमोरियल ट्रस्ट (सहमत) ने शनिवार को तमिलनाडु सरकार से आग्रह किया कि वह उपन्यासकार पेरुमल मुरुगन को संविधान से मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को उन लोगों से बचाएं जो उनके उपन्यास को संविधान की दुहाई देते हुए सांस्कृतिक चश्मे से देखते हैं।
तमिल उपन्यासकार मुरुगन ने 13 जनवरी को लेखन छोड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि उनके उपन्यास और लघुकथाओं पर विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों द्वारा विवाद को हवा दी जा रही है, इसलिए वह लिखना छोड़ रहे हैं।
मुरुगन ने उपन्यास ‘मधोरुभगन’ को लेकर उठे विवाद में उनका समर्थन करने वाले लोगों का शुक्रिया अदा किया और कहा कि यह मामला यहीं पर खत्म होने वाला नहीं है।
सहमत ने एक बयान में कहा, “हम तमिलनाडु सरकार से आग्रह करते हैं कि वह पेरुमल मुरुगन की साहित्यिक कृति को संविधान की दुहाई देते हुए सांस्कृतिक चश्मे से देखने वाले लोगों से एक लेखक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करे।”
बयान में कहा गया है, “हम कलाकारों, लेखकों, बुद्धिजीवियों, पाठकों और सजग नागरिकों से आह्वान करते हैं कि वे बड़ी संख्या में इकट्ठे हों और अराजक व नीच लोगों द्वारा खतरे में पड़े लोकतंत्र और लेखक के लिखने के अधिकार की रक्षा करें।”
विभिन्न संगठन और जातिवादी समूह मुरुगन के गृहनगर तिरुचिरापल्ली में उपन्यास के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके उपन्यास की कहानी परेशानियों का सामना कर रही एक नि:संतान दंपति के इर्द-गिर्द घूमती है। महिला गर्भवती होने के उद्देश्य से उस परंपरा को मानती है जिसमें एक रात के लिए किसी भी अनजान पुरुष से यौन संबंध बनाने की इजाजत है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।