लखनऊ में स्थापित होने वाला ये मेगा कॉल सेंटर अपने आप में बेहद अनूठा होगा। इसके माध्यम से संबंधित लाभार्थियों को कॉल कर करके सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाएगी और उनसे योजनावार निर्धारित प्रश्नावली-प्रपत्रों पर फीडबैक प्राप्त किया जाएगा। इस फीडबैक के आकलन के आधार पर संबंधित विभागों द्वारा आवश्यकता के अनुसार अपनी योजनाओं के संचालन की व्यवस्था में सुधार लाने की कार्यवाही की जाएगी।
आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग द्वारा इस परियोजना के कार्य के लिए उत्तर प्रदेश डेवलेपमेंट सिस्टम कारपोरेशन्स लिमिटेड (यूपीडेस्को) को कार्यदायी संस्था नामित किया गया है।
आला अधिकारियों ने बताया कि सरकार के निर्देश पर यह मेगा कॉल सेंटर इसी साल नवंबर के अंत से शुरू कर दिया जाएगा और यह पूरी तरह स्वतंत्र फीडबैक सरकार तक पहुंचाएगा। परियोजना के अंतर्गत सिस्टम इंटीग्रेटर के चयन और उसके द्वारा मेगा कॉल सेंटर की स्थापना तथा संचालन के किए जाने वाले कार्यो की प्रभावी मॉनीटरिंग के लिए कन्सल्टेंट संस्था मेसर्स अर्नेस्ट एंड यंग एलएलपी का चयन किया जा चुका है।
कन्सल्टेन्ट संस्था के जरिए ही सिस्टम इंटीग्रेटर के चयन की कार्यवाही की जा रही है। इस तरह से यूपी पहला प्रदेश है, जिसने अपने प्रोजेक्ट और प्रोग्राम पर निगरानी और मूल्यांकन के लिए इतने बड़े पैमाने पर स्वतंत्र इकाई गठित करने की पहल की है।
इस मेगा कॉल सेंटर के जरिए प्रारंभ में समाज कल्याण, ग्राम विकास, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, माध्यमिक शिक्षा, अल्पसंख्यक कल्याण, पशुपालन, राजस्व, कृषि, नगरीय रोजगार एवं गरीबी उन्मूलन, विकलांग जन विकास, श्रम और ऊर्जा विभाग की योजनाओं का फीडबैक हासिल किया जाएगा।
इसके अलावा प्रदेश सरकार की अन्य प्रमुख योजनाओं जैसे बैट्री पावर्ड मोटराइज्ड़ रिक्शा, साइकिल वितरण, समाजवादी पेंशन, वृद्धावस्था पेंन्शन, लोहिया आवास, विकलांग पेंशन, 108 और 102 एम्बुलेंस सेवा, लैपटॉप वितरण, कन्या विद्याधन, पढ़ें बेटियां और बढ़ें बेटियां, हमारी बेटी उसका कल, कृषक दुर्घटना बीमा, सोलर फोटो वोल्टेक इरीगेशन पम्प, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण, कामधेनु, मिनी कामधेनु योजना सहित कुक्कुट नीति और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से आर्थिक सहायता आदि के वर्ष 2012-13, 2013-14 और 2014-15 के लाभर्थियों को कॉल कर उनसे फीडबैक प्राप्त किया जाएगा।
प्रदेश सरकार के निर्देश पर भविष्य में अन्य विभागों की जनकल्याणकारी योजनाओं को भी इस परियोजना में शामिल किया जाने की योजना है। इससे सरकारी योजनाओं की जमीनी हकीकत का ज्यादा से ज्यादा फीडबैक मिल सके और उसे पहले से ज्यादा प्रभावी बनाने की पहल की जा सके।