शिमला, 16 मार्च (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के सबसे रमणीक क्षेत्र रोहतांग दर्रा में सीएनजी बसें चलाने का आदेश लागू करने में राज्य सरकार अब तक विफल रही है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेश को नजरअंदाज किए जाने से इस रमणीक क्षेत्र की पारिस्थितिकी बिगड़ सकती है।
शिमला, 16 मार्च (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के सबसे रमणीक क्षेत्र रोहतांग दर्रा में सीएनजी बसें चलाने का आदेश लागू करने में राज्य सरकार अब तक विफल रही है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के आदेश को नजरअंदाज किए जाने से इस रमणीक क्षेत्र की पारिस्थितिकी बिगड़ सकती है।
12 मार्च को विधानसभा को एक लिखित उत्तर में राज्य के परिवहन मंत्री जी.एस. बाली ने स्पष्ट कहा कि ऊंचे पहाड़ी इलाकों में संपीडित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) वाली बसों को चलाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने हालांकि कहा कि इस प्रस्ताव पर निचले पहाड़ी इलाकों में काम किया जा सकता है।
इस तरह राज्य सरकार राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के फैसले की अवहेलना करते हुए दिख रही है। एनजीटी ने सरकार को आदेश दिया था कि वह रोहतांग दर्रा में सीएनजी वाहनों का परिचालन करे, ताकि पर्यावरण को प्रदूषण से बचाया जा सके।
वैज्ञानिक अध्ययनों में कहा गया है कि उच्च हिमालय पर्वतीय रोहतांग दर्रा का पर्यावरण तंत्र पर्यटकों की बढ़ती संख्या और वाहनों से निकले धुएं के कारण नष्ट हो रहा है। यह दर्रा समुद्र तल से 13,050 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और पर्यटन स्थल मनाली से यह 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने हालांकि सीएनजी बसों के चलाने की संभावना से इंकार कर दिया।
मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा, “पर्यावरण का मुद्दा केवल रोहतांग दर्रे तक ही सीमित नहीं है। हमें पूरे प्रदेश में पर्यावरण की रक्षा करनी होगी। केवल रोहतांग तक पर्यटन के लिए सीएनजी बसें चलाना मुमकिन नहीं है।”
यह दर्रा चिनाब और व्यास वदी की घाटियों के बीच में स्थित है।
नेशनल इन्वायरमेंटल इंजीनियरिग रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनईईआरआई) ने स्थानीय पर्यावरण स्थितियों पर प्रदूषण के प्रभाव की जानकारी जुटाने के लिए किए गए अध्ययन में बताया कि यात्रियों द्वारा छोड़े गए कचरे और गाड़ियों द्वारा कार्बन मोनोऑक्साइड के अत्यधिक उत्सर्जन का पर्वतीय क्षेत्र पर अत्याधिक प्रभाव पड़ रहा है।
12 मार्च को एक अन्य सवाल से संबंध में इसकी रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई थी। इसमें कहा गया है कि हिमालय के पीर पंजाल सीमा में स्थित रोहगांत दर्रा में हर दिन 18,000 से 20,000 सैलानी यात्रा करने आते हैं। ज्यादातर सैलानी मई और सितंबर के बीच में आते हैं।
मई में इस दर्रे से 3,200 वाहन हर दिन गुजरे हैं, जिनमें 80 फीसदी कारें शामिल हैं।
सर्दियों में यह दर्रा छह माह के लिए बर्फ की चादर से ढका रहा।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने पिछले साल नवंबर में जानकारी जुटाई थी कि रोहतांग दर्रे में वायु प्रदूषण के कारण बर्फ की मात्रा में तेजी से कमी आ रही है और अगले 20 से 25 सालों में यह पूरी तरह से गायब हो जाएगी।
इससे हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण पर गंभीर असर होगा। एनजीटी ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि वह इस क्षेत्र प्रदूषण में कमी लाने के लिए सीएनजी चालित वाहनों का परिचालन सुनिश्चित करे।