नई दिल्ली, 25 फरवरी (आईएएनएस)। रेलमंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने माल ढुलाई में भारतीय रेल के घटते हिस्से की समस्या के निराकरण के लिए तीन उपाय सुझाए हैं। इनमें रेल द्वारा लदान की जा रही सामग्री को बढ़ाना, दर संरचना को युक्तिसंगत बनाना और टर्मिनल क्षमता का निर्माण करना शामिल है।
रेल के माल यातायात में 10 थोक कमोडिटी की प्रधानता है, जिनका हिस्सा लगभग 88 प्रतिशत है। अपने राजस्व आधार का विस्तार करने के लिए रेलवे को इससे आगे बढ़ने की जरूरत है। एक परिपूर्ण बाजार का अध्ययन किया जा रहा है और विस्तृत मांग एवं आपूर्ति परिदृश्य, सेवा स्तर और अवसंरचनात्मक जरूरतों का आकलन किया जाएगा, ताकि या तो कंटेनरीकरण के जरिए इस यातायात को वापस प्राप्त करने के लिए एक कार्य योजना बनाई जा सके या तो इसके लिए नए डिलीवरी मॉडल अर्थात रॉल ऑन-रॉल ऑफ आदि को विकसित किया जा सके और फिर इसका कार्यान्वयन किया जा सके।
उन्होंने कहा कि नेटवर्क क्षमता की सीमाओं के कारण फिलहाल समय सारणीबद्ध मालगाड़ियां चलाना संभव नहीं हो पा रहा है, लेकिन इस वर्ष से पॉयलट आधार पर समय सारणीबद्ध फ्रेट कंटेनर पार्सल और विशेष कमोडिटी वाली गाड़ियां चलाई जाएंगी।
प्रभु ने कहा कि कोयला और विनिर्दिष्ट खनिज अयस्कों को छोड़कर समस्त यातायात के लिए कंटेनर सेक्टर को खोल दिया जाएगा और गैर-व्यस्त अवधि के दौरान आंशिक रूप से भरी हुए गाड़ियां चलाने की अनुमति दी जाएगी। सभी मौजूदा टर्मिनलों व शेडों को जहां कहीं भी व्यावहारिक पाया जाए, को कंटेनर यातायात की अनुमति प्रदान की जाएगी।
उन्होंने कहा कि भारतीय रेल की मौजूदा भाड़ा संरचना से माल यातायात बाजार में अन्य सेवाओं के मुकाबले इसकी सेवाएं महंगी हो गई हैं। यातायात के अन्य साधनों के मुकाबले एक प्रतिस्पर्धी भाड़ा संरचना तैयार करने, मल्टी-प्वाइंट लदान उतराई और वैकल्पिक मार्गों का उपयोग बढ़ाने के लिए भिन्न-भिन्न भाड़ा दरें लागू करने के लिए टैरिफ नीति की समीक्षा की जाएगी।