सूरत। एक स्थानीय अदालत ने बलात्कार के आरोप में दर्ज मामले में स्वयंभू बाबा आसाराम के बेटे नारायण साईं की जमानत याचिका आज खारिज कर दी। संयुक्त जिला और अतिरिक्त नगर सत्र न्यायाधीश बी ए जोशी ने याचिका खारिज करते हुए टिप्पणी की कि प्रथमदृष्टया आरोपी के खिलाफ बलात्कार का अपराध बनता है।
सूरत की अदालत ने यह भी कहा कि आरोपी (साईं) को अगर नियमित जमानत पर रिहा किया गया तो वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है और गवाहों को प्रभावित कर सकता है। इस महीने के शुरू में साईं ने जमानत याचिका दाखिल कर रिहाई का अनुरोध करते हुये कहा था कि पुलिस पहले ही आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है। उसने यह भी आरोप लगाया था कि पुलिस ने गलत इरादे से उनके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया है।
साईं ने जमानत याचिका में कहा, राज्य पुलिस ने मार्च में आरोप पत्र दाखिल किया जिससे पता चलता है कि दुष्कर्म मामले में जांच पूरी हो चुकी है। साईं ने अपनी नियमित जमानत याचिका में कहा था कि गलत इरादे से उनके खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत 11 साल बाद दर्ज करायी गयी।
जमानत याचिका में कहा गया, मामले के तथ्यों में जरा भी ठोस आधार नहीं है, इसलिए याची (साईं) को नियमित जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। बहरहाल, अदालत ने साईं के आवेदन को नहीं माना और उनकी जमानत खारिज करते हुए उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया।