नई दिल्ली, 22 फरवरी (आईएएनएस)। कई महीनों की पढ़ाई, नियोजित समयावधि और कोई सामाजिक गतिविधि में भाग लिए बिना पढ़ाई करने के बाद सतीश कौशिक परीक्षा के पहले और परीक्षा से पहले वाली रात को परेशान और सशंकित हो जाता है। वह तड़के तीन बजे तक किताबों से घिरा रहता है।
विद्यार्थियों में परीक्षा के दौरान इस तरह का डर नजर आना सामान्य बात है। कुछ मामलों में यह घटना ‘एग्जाम फोबिया’ बन जाती है। 80 फीसदी विद्यार्थी आज के समय में एग्जाम फोबिया नाम के इस तनाव से ग्रस्त रहते हैं।
एक अध्ययन भी बताता है कि परीक्षा के तनाव का सामना करने वाले विद्यार्थी अपने तनाव मुक्त साथियों की अपेक्षा करीब 12 फीसदी नीचे रैंक प्राप्त करते हैं।
ऐसा ही सतीश के साथ हुआ, तब उसकी मां ने उसे रेकी फूड थेरेपी अपनाने की सलाह दी, जिससे उसे विचारों और शरीर के सात चक्रों के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद मिली। साथ ही उसमें गहराई तक समाए डर में भी कमी आई।
रेकी फूड थेरेपी ने सतीश पर बहुत अच्छा काम किया और परीक्षा तथा अन्य गतिविधियों में उसका प्रदर्शन बेहतर हुआ।
रेकी थेरेपी मनोवैज्ञानिक और मानसिक स्थितियों से निपटने का सिद्ध विज्ञान है। रेकी फूड के साथ नियमित रेकी उपचार से ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम के संतुलन में मदद मिलती है। ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम शरीर की अचेतन गतिविधियों जैसे पाचनतंत्र, हार्ट रेट, उत्सर्जन को नियंत्रित करता है। कई शोध में भी बताया गया है कि रेकी तनाव को दूर करने के साथ ही बीमारी के लक्षण भी कम करती है।
रेकी फूड थेरेपिस्ट और नीलवो के संचालक विनय गर्ग कहते हैं कि डॉक्टर या स्वयं के द्वारा नियमित उपचार लिए जाने से नर्वस सिस्टम को संतुलित करने में मदद मिलती है। साथ ही उपयुक्त आराम, तनाव से मुक्ति और एक प्रकार की दिमागी और शारीरिक शांति मिलती है। इससे भावनात्मक रूप से आहत हुए बिना दुनिया के सामने आने की ताकत मिलती है।
उन्होंने कहा, “हमारे भोजन का चुनाव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। पुरानी कहावत है, हम वैसे ही बनते हैं, जैसा खाते हैं। रेकी प्राचीन हीलिंग प्रक्रिया है जो करीब 2,500 वर्ष पुरानी है। भोजन पर रेकी करने से भोजन में पहले से मौजूद पौष्टिकता बढ़ जाती है।”
रेकी फूड थेरेपी एक तकनीक है, जिसके द्वारा व्यक्ति को जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया रखने में और उम्मीद के साथ स्वस्थ जीवन जीने मदद मिल सकती है। भारत में यह तकनीक अभी नई है, लेकिन तनाव और अवसाद जैसी बीमारियों से लड़ने में भारतीयों के लिए मददगार हो सकती है।