नई दिल्ली, 13 जुलाई (आईएएनएस)। पिछले कुछ समय में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने दमदार प्रदर्शन कर कई सफलताएं हासिल की हैं। चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत ने पहली बार रजत पदक हासिल किया और कई दमदार टीमों को पटखनी भी दी।
नई दिल्ली, 13 जुलाई (आईएएनएस)। पिछले कुछ समय में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने दमदार प्रदर्शन कर कई सफलताएं हासिल की हैं। चैम्पियंस ट्रॉफी में भारत ने पहली बार रजत पदक हासिल किया और कई दमदार टीमों को पटखनी भी दी।
इन जीतों में भारत के पेनाल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ रुपिंदर पाल सिंह की भूमिका हमेशा ही अहम रही। उनकी गिनती विश्व के सर्वश्रेष्ठ ड्रैग फ्लिकर्स में होती है और टीम के लिए पेनाल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने की जिम्मेदारी काफी हद तक उन पर ही रहती है।
रुपिंदर का कहना है कि वह इस जिम्मेदारी का आनंद उठाते हैं, लेकिन उन्होंने साथ ही कहा कि अगले महीने शुरू हो रहे रियो ओलम्पिक में यह जिम्मेदारी उनके लिए बड़ी चुनौती होगी।
रुपिंदर ने मंगलवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा, “मुझे जो भी जिम्मेदारी मिलती है मैं उसका आनंद उठाता हूं। मुझे लगता है कि रियो में यह चुनौती होगी साथ ही टीम के अन्य ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत और रघुनाथ के लिए भी यह अहम चुनौती होगी। मुझे उम्मीद है कि हम वहां पर अच्छा करेंगे।”
रियो ओलम्पिक के लिए मंगलवार को भारतीय हॉकी टीम की घोषणा की गई। हॉकी इंडिया (एचआई) ने कप्तानी में बदलाव करते हुए सरदार सिंह की जगह दिग्गज गोलकीपर पी.आर. श्रीजेश को सौंपी है। हालांकि सरदार को टीम में बनाए रखा गया है।
श्रीजेश की कप्तान के रूप में नियुक्ति पर रुपिंदर ने कहा, “श्रीजेश को कप्तान बनाया गया है, लेकिन टीम में ऐसा कुछ नहीं है, कप्तानी मायने नहीं रखती। हमारी टीम काफी अच्छी है। हम एक परिवार की तरह रहते हैं। मैदान पर सभी सीनियर खिलाड़ी लीडर हैं।”
सुल्तान अजलान शाह कप-2010 में भारतीय टीम में पदार्पण करने वाले रुपिंदर लंबे समय से सरदार के नेतृत्व में खेलते आए हैं। हाल ही में चैम्पियंस ट्रॉफी में उन्होंने श्रीजेश की कप्तानी में भी टीम का प्रतिनिधित्व किया था, जहां टीम ने पहली बार रजत पदक जीत कर इतिहास रचा।
सरदार और श्रीजेश में कौन बेहतर कप्तान है इस पर हालांकि रुपिंदर ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
2014 में ग्लासगो में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे रुपिंदर ओलम्पिक के लिए काफी उत्साहित दिखे। उन्होंने साथ ही कहा हमें वहां जाने से पहले अपनी पिछली गलतियों से सीखने की जरूरत है।
रुपिंदर ने कहा, “ओलम्पिक के लिए काफी उत्सुक हूं, हमारी तैयारी भी पूरी है। पिछले टूर्नामेंटों में हमने जो गलतियां की हैं उनमें सुधार करने की जरूरत है। ओलम्पिक से पहले हमारे पास जो समय है हम उसमें सुधार करेगें।”
खेलों के महाकुंभ का समय नजदीक है और रुपिंदर का कहना है कि ओलम्पिक के लिए कुछ खास रणनीति नहीं बनी है और टीम वहां जाकर ही रणनीति पर काम करेगी।
उन्होंने कहा, “कुछ खास तैयारी नहीं है। हमारी जो भी रणनीति होगी वो वहीं जा कर ही बनेगी। हमें जहां सुधार करने की जरूरत लगती है हम उस पर अभ्यास कर रहे हैं।”
भारत के लिए 119 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेलने वाले इस पेनाल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ को लगता है कि टीम को अभी भी कुछ जगहों पर काम करने की जरूरत है।
रूपिंदर ने कहा, “हमें अभी भी कुछ जगह सुधार करना है जैसे पेनाल्टी कॉर्नर, अटैक। हमारा डिफेंस काफी अच्छा है, लेकिन हमें इन सभी जगहों पर और मेहनत करने की जरूरत है।”
ओलम्पिक में भारतीय टीम को पूल-बी में नीदरलैंड्स, जर्मनी, आयरलैंड, कनाडा और अर्जेटीना के साथ रखा गया है। भारत रियो में अपने अभियान की शुरुआत छह अगस्त को आयरलैंड के खिलाफ करेगा।
रुपिंदर ने कहा कि टीम ओलम्पिक में पूरी ताकत के साथ खेलेगी। इस ड्रैग फ्लिकर का मानना है कि आज की हॉकी में कोई भी टीम ज्यादा अच्छी नहीं है और जीत दिन विशेष पर निर्भर करता है।
उन्होंने कहा, “हम ओलम्पिक में अपनी तरफ से पूरी कोशिश पूरी करेंगे, लेकिन कुछ भी हो सकता है। आज हॉकी में कोई भी टीम ज्यादा अच्छी नहीं है। यह दिन विशेष पर निर्भर करता है कि आप किस दिन कैसा खेलते हो। आपको दिन ब दिन मैच पर ध्यान देना पड़ेगा।”
टीम की रक्षापंक्ति की नींव कहे जाने वाले वरिष्ठ खिलाड़ी बिरेंदर लाकड़ा घुटने की सर्जरी के कारण रियो नहीं जा पाएंगे। रुपिंदर को लगता है कि लाकड़ा की कमी टीम को खलेगी ,लेकिन भारतीय टीम में ऐसे खिलाड़ी हैं जो उनकी भरपाई कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, “उनकी (बिरेंदर लाकड़ा) कमी खलेगी। वह टीम के सर्वश्रेष्ठ डिफेंडरों में से एक और टीम का महत्वपूर्ण अंग थे, लेकिन एक टीम के तौर पर हम उनकी भरपाई कर सकते हैं। जैसे हरमनप्रीत हैं, सुरेन्द्र कुमार हैं, यह टीम के लिए अच्छा कर रहे हैं। उम्मीद है यह रियो में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।”