नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार (3 फरवरी) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वह कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की चिंताओं को दूर करने के लिए उचित कदम उठाएं तथा सुरक्षा की गारंटी के बिना उन्हें कश्मीर घाटी में काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जाए.
उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यह दावा भी किया कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के प्रति जम्मू कश्मीर प्रशासन का रवैया असंवेदनशील है.
राहुल गांधी ने पत्र में कहा, ‘आतंकियों द्वारा हाल में कश्मीरी पंडितों व अन्य लोगों की लगातार निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं (Targeted Killing) ने घाटी में डर और निराशा का माहौल बना दिया है.’
नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार (3 फरवरी) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया कि वह कश्मीरी पंडित कर्मचारियों की चिंताओं को दूर करने के लिए उचित कदम उठाएं तथा सुरक्षा की गारंटी के बिना उन्हें कश्मीर घाटी में काम करने के लिए मजबूर नहीं किया जाए.
उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यह दावा भी किया कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के प्रति जम्मू कश्मीर प्रशासन का रवैया असंवेदनशील है.
राहुल गांधी ने पत्र में कहा, ‘आतंकियों द्वारा हाल में कश्मीरी पंडितों व अन्य लोगों की लगातार निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं (Targeted Killing) ने घाटी में डर और निराशा का माहौल बना दिया है.’
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी, पूरे भारत को प्रेम और एकता के सूत्र में पिरोने के लिए जारी भारत जोड़ो यात्रा के जम्मू पड़ाव में कश्मीरी पंडितों का एक प्रतिनिधिमंडल अपनी समस्याओं को लेकर मुझसे मिला. उन्होंने जानकारी दी कि सरकार के अधिकारी उन्हें कश्मीर घाटी में वापस काम पर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं.’
कांग्रेस नेता के अनुसार, इन हालात में सुरक्षा और सलामती की पक्की गारंटी के बिना उन्हें घाटी में काम पर जाने के लिए मजबूर करना एक निर्दयी कदम है. हालात के सुधरने और सामान्य होने तक सरकार इन कश्मीरी पंडित कर्मचारियों से अन्य प्रशासकीय व जनसुविधा के कार्यों में सेवाएं ले सकती है.
राहुल गांधी ने दावा किया, ‘अपनी सुरक्षा और परिवार की चिंताओं को लेकर गुहार लगा रहे कश्मीरी पंडितों को आज जब सरकार से हमदर्दी और अपनेपन की उम्मीद है तब उप-राज्यपाल (मनोज सिन्हा) जी द्वारा उनके लिए ‘भिखारी’ जैसे शब्दों का प्रयोग गैर-जिम्मेदाराना है. प्रधानमंत्री जी, शायद आप स्थानीय प्रशासन की इस असंवेदनशील शैली से परिचित न हों.’
उन्होंने कहा, ‘मैंने कश्मीरी पंडित भाइयों-बहनों को भरोसा दिया है कि उनकी चिंताओं व मांगों को आप तक पहुंचाने का पूरा प्रयास करूंगा. मुझे उम्मीद है कि यह सूचना मिलते ही आप इस बारे में उचित कदम उठाएंगे.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, एक कश्मीरी पंडित प्रतिनिधिमंडल ने सांबा जिले में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी से मुलाकात कर उन्हें अपने मुद्दों के बारे में जानकारी दी थी, जिसमें आतंकवादियों द्वारा लक्षित हत्याएं (Targeted Killings) और प्रधानमंत्री के पैकेज के तहत कार्यरत लोगों द्वारा किया जा रहा विरोध शामिल था.
2008 में घोषित प्रधानमंत्री के रोजगार पैकेज के तहत चयन के बाद लगभग 4,000 कश्मीरी पंडित घाटी में विभिन्न सरकारी विभागों में काम कर रहे हैं. पैकेज के दो प्रमुख घटक हैं- समुदाय से युवाओं के लिए 6,000 नौकरियां और भर्ती किए गए कर्मचारियों के लिए कई आवास इकाइयों का निर्माण.
बता दें कि आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाकर की जा रहीं हत्याओं के बाद से घाटी में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत काम कर रहे अनेक कश्मीरी पंडित जम्मू जा चुके हैं.
मई 2022 में कश्मीर में राहुल भट की हत्या के बाद से पिछले लगभग छह महीनों में प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कार्यरत कश्मीरी पंडित तबादले की मांग को लेकर जम्मू में पुनर्वास आयुक्त कार्यालय में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने तबादले के लिए प्रदर्शन कर रहे कश्मीरी पंडित सरकारी कर्मचारियों को 21 दिसंबर 2022 को यह स्पष्ट संदेश दिया था कि काम पर न आने वालों को वेतन नहीं दिया जाएगा.
उपराज्यपाल की इस टिप्पणी से नाराज डोगरा और कश्मीरी पंडित कर्मचारियों ने घाटी से तबादले की मांग को लेकर महीनों से जारी अपना विरोध प्रदर्शन और तेज करते हुए जम्मू स्थित भाजपा कार्यालय पर प्रदर्शन किया था.
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दिसंबर 2022 में ही कहा था कहा था, ‘कश्मीर में हत्याओं को धर्म के आधार पर देखना बंद करें.’ उनके इस बयान की भी प्रदर्शनकारियों ने निंदा की थी.
इससे पहले 5 दिसंबर 2022 को प्रधानमंत्री पुनर्वास पैकेज के तहत कश्मीर घाटी में काम कर रहे 56 कश्मीरी पंडितों के नाम लेते हुए लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) द्वारा जारी की गई एक ‘हिटलिस्ट’ से भयभीत समुदाय ने विरोध प्रदर्शन कर कर्मचारियों के लीक हुए विवरणों की उच्च-स्तरीय जांच की मांग की थी.
आतंकी संगठन ने कश्मीरी पंडितों को धमकी दी है कि उनकी कॉलोनियों को कब्रिस्तान में बदल दिया जाएगा.
सितंबर 2022 में सरकार ने संसद को सूचित किया था कि जम्मू कश्मीर में अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद से और इस साल जुलाई के मध्य तक पांच कश्मीरी पंडित और 16 अन्य हिंदुओं तथा सिखों सहित 118 नागरिक मारे गए थे.