नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को जी न्यूज के संपादक रजनीश आहूजा को कांग्रेस नेता राहुल गांधी से संबंधित एक कार्यक्रम के संबंध में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान कर दी, जिसे इस समाचार चैनल द्वारा प्रसारित किया गया था.
इस संबंध में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में एफआईआर दर्ज की गई थी. इन दोनों राज्य सरकारों के अलावा केंद्र को नोटिस जारी करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने निर्देश दिया कि उनके (आहूजा) खिलाफ पहले से दर्ज की गई या भविष्य की एफआईआर के संबंध में कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, उनके वकील ने कहा कि चैनल ने यह महसूस करने के बाद वीडियो को हटा दिया था कि गलती हुई थी.
इससे पहले बीते आठ जुलाई को अदालत ने पत्रकार रोहित रंजन को दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा प्रदान की थी, जिन्होंने 1 जुलाई 2022 को इस मामले से संबंधित ‘डीएनए’ शो की एंकरिंग की थी.
उन्होंने अदालत को बताया था कि चैनल को एक अन्य समाचार एजेंसी से एक वीडियो प्राप्त हुआ था और इसे एक ट्रेनी प्रोड्यूसर द्वारा तैयार किया गया था. जब चैनल को पता चला कि तथ्यात्मक त्रुटियां हुई है तो शो को वापस ले लिया गया और ऑन एयर माफी मांग ली गई थी.
बता दें कि रोहित रंजन कांग्रेस नेता राहुल गांधी की एक भ्रामक वीडियो क्लिप चलाने के मामले में कुछ राज्यों में एफआईआर का सामना कर रहे हैं.
बीते एक जुलाई को समाचार चैनल जी न्यूज ने अपने प्राइम टाइम शो ‘डीएनए’ में कांग्रेस नेता राहुल गांधी का एक बयान चलाकर कहा था कि वह उदयपुर हत्याकांड के आरोपियों को ‘बच्चा’ बता रहे हैं, जबकि उक्त बयान उन्होंने केरल के वायनाड में उनके कार्यालय में तोड़-फोड़ करने वाले एसएफआई कार्यकर्ताओं के संदर्भ में दिया था.
इस शो की एंकरिंग रोहित रंजन ने की थी. इसके प्रसारण के बाद हुए विवाद के बाद उन्होंने अपने चैनल जी न्यूज पर ऑन एयर माफी भी मांगी थी. उन्होंने कथित अपराध के लिए दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा की मांग हेतु सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसने उन्हें भी गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान कर दिया था.
बीते दो जुलाई रंजन ने अपने शो पर कहा था, ‘कल (एक जुलाई) हमारे शो डीएनए में राहुल गांधी का बयान उदयपुर की घटना से जोड़ कर गलत संदर्भ में चल गया था, ये एक मानवीय भूल थी जिसके लिए हमारी टीम क्षमा प्रार्थी है, हम इसके लिए खेद जताते हैं.’
बीते पांच जुलाई को रोहित रंजन के गाजियाबाद स्थित घर पर उनकी हिरासत को लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस का उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ विवाद हो गया था. नौबत धक्का-मुक्की और हाथापाई तक आ गई थी. इस हाई वोल्टेज ड्रामा के बीच यूपी पुलिस ने अंतत: रंजन को छत्तीसगढ़ पुलिस के हाथों गिरफ्तार होने से बचा लिया था.
रंजन ने 5 जुलाई को ट्वीट किया था कि छत्तीसगढ़ पुलिस के जवानों की एक टीम अपने स्थानीय समकक्षों (यूपी पुलिस) को बताए बिना उन्हें गिरफ्तार करने के लिए उनके आवास पर पहुंची थी. कथित रूप से छेड़छाड़ किए गए वीडियो को लेकर जी मीडिया कॉरपोरेशन की ओर से उनके दो सहयोगियों के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बाद उसी दिन, उन्हें नोएडा पुलिस द्वारा पूछताछ के लिए ले जाया गया था.
एक रिपोर्ट के अनुसार, हिरासत में लिए जाने के चंद मिनट पहले 5 जुलाई की सुबह 8:33 बजे रोहित रंजन के खिलाफ नामजद यूपी पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी और इस प्रकार छत्तीसगढ़ पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने से रोक दिया गया था, इसी बात को लेकर दोनों राज्यों के पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई थी.