नई दिल्ली, 24 जनवरी (आईएएनएस)। राष्ट्रीय संग्रहालय में अगले सप्ताह 16वीं से 19वीं शताब्दी तक की करीब 400 सालों के दौरान की दक्षिण भारत की उत्कृष्ट लेकिन अपेक्षाकृत उपेक्षित कला की प्रदर्शनी आयोजित की जा रही है जब प्रायद्वीपीय बेल्ट विशेष रूप से महानगर के रूप में था।
‘नौरस : द मेनी आर्ट्स ऑफ द डेक्कन’ शीर्षक वाली यह 53 दिवसीय प्रदर्शनी 27 जनवरी से शुरू हो रही है। यह प्रदर्शनी एस्थेटिक प्रोजेक्ट के सहयोग से आयोजित की जा रही है। यह शिक्षाविदों, शिल्पकारों और कलाकारों का एक मंच है जो भारत की कला के इतिहास और इसके एस्थेटिक विरासत पर विभिन्न विषयों की जांच- पड़ताल करती है।
कला इतिहासकारों – डॉ प्रीति बहादुर और डॉ कविता सिंह द्वारा क्यूरेट की गई प्रदर्शनी 20 मार्च को समाप्त होगी। इस प्रदर्शनी में 120 वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है। इनमें से विशिष्ट कृति – प्रसिद्ध रागमाला चित्रकला को दिल्ली के नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट से लिया गया है जबकि शेष कृतियों को राष्ट्रीय संग्रहालय के संग्रह से लिया गया है। यह प्रदर्शनी राष्ट्रीय संग्रहालय तथा नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट के संयुक्त उपक्रम के तहत आयोजित की गयी है।
यह प्रदर्शनी पुरानी दक्षिणी कलाओं पर व्यापक शैक्षिक रोशनी डालेगी क्योंकि राष्ट्रीय संग्रहालय और एस्थेटिक प्रोजेक्ट 28 और 29 जनवरी को राजधानी में एक दो दिवसीय संगोष्ठी का भी आयोजन कर रहे हंै। इंडियन इंटरनेशनल सेंटर (आईआईसी) में होने वाले इस आयोजन में देश के प्रमुख कला इतिहासकारों के द्वारा 10 प्रस्तुतियां पेश की जाएंगी।
राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. वेणु वासुदेवन ने कहा कि ‘नौरस’ इस मायने में एक खास प्रदर्शनी होगी क्योंकि प्रदर्शनी में 16 वीं से 19 वीं शताब्दी के दौरान की डेक्कन की कला को पहली बार प्रदर्शित किया जाएगा जब इस क्षेत्र में इसकी संस्कृति का काफी अधिक आदान-प्रदान हुआ।