लखनऊ, 17 अक्टूबर – उत्तर प्रदेश में हाल ही में हुए विधानसभा उपचुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को लव जिहाद के मुद्दे पर काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी। यही वजह है कि केंद्र में सत्तारूढ़ दल के पैतृक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बड़े नेता भी ‘लव जिहाद’ और ‘राम मंदिर’ जैसे विवादित मुद्दों को सीधेतौर पर चर्चा में शाामिल करने से हिचक रहे हैं।
सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने इन दोनों विवादित मुद्दों पर पत्रकारों को गोलमोल जवाब दिया। उन्होंने सीधेतौर पर इन मुद्दों पर चर्चा करने की बात से इनकार तो किया, लेकिन उन्होंने साथ ही यह भी कह दिया कि इन दोनों मुद्दों पर संघ तो बहुत पहले से ही काम कर रहा है।
राम मंदिर के सवाल पर होसबले ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि इस मुद्दे पर फिर से चर्चा करने की जरूरत है। संघ इस काम में भी बहुत पहले से ही जुटा हुआ है।”
होसबले से जब याद दिलाया गया कि भाजपा और संघ हमेशा से कहते रहे हैं कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनने पर कानून में संशोधन कर राम मंदिर बनाया जाएगा, तब उन्होंने कहा कि धर्माचार्य व विश्व हिंदू परिषद (विहिप) बहुत पहले से ही इस मुद्दे को हल करने में जुटे हुए हैं। धर्माचार्य जो भी प्रस्ताव लाएंगे, हम उसका समर्थन करेंगे। हम बैठक में अलग से इस मुद्दे पर कुछ नहीं करेंगे।
होसबले ने साथ ही यह भी कहा अभी देश के राजनीतिक हालात में बदलाव आया है और केंद्र में नई सरकार बनी है। अब नई सरकार अपनी प्राथमिकता के आधार पर मुद्दों को निपटाएगी।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा केंद्र सरकार भी ‘सबका साथ, सबका विकास’ के सिद्धांत पर चल रही है और विवादास्पद मुद्दों को छेड़ने से अब तक बचती आ रही है।
लव जिहाद के मुद्दे पर भी होसबले ने सीधा जवाब नहीं दिया। होसबले ने कहा कि संघ इस मुद्दे पर बहुत पहले से काम करता आ रहा है। राष्ट्रहित के सभी मुद्दों पर संघ हमेशा सतर्क रहता है।
आतंकी संगठन आईएसआईएस को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में संघ के इस बड़े नेता ने कहा कि देश की सुरक्षा को लेकर संघ हमेशा सजग रहता है और इस तरह के मामलों लेकर पूरी सजगता के साथ काम करने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि लखनऊ में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक शुक्रवार को शुरू हो गई। यह बैठक 19 अक्टूबर तक चलेगी। बैठक में स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता के तौर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हो रहे हैं।
उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि शाह एक स्वयंसेवक हैं और इस नाते ही उन्हें आमंत्रित किया गया था। शाह के आने का मतलब यह नहीं है कि यहां राजनीतिक चर्चाएं होंगी। होसबले ने कहा, “बैठक के दौरान उप्र में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कोई चर्चा नहीं की जाएगी।”