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 ‘राज्यपाल को संविधान के तहत सीमित विवेकाधिकार’ | dharmpath.com

Wednesday , 27 November 2024

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‘राज्यपाल को संविधान के तहत सीमित विवेकाधिकार’

नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय में शुक्रवार को कहा गया कि संविधान के तहत विधायिका का हिस्सा होने के बावजूद राज्यपाल के पास सीमित शक्तियां हैं। वह राज्य विधानसभा की बनावट या इसकी प्रक्रियाओं को नियमित करने के लिए संदेश नहीं भेज सकता या सदन का एजेंडा नहीं तय कर सकता।

अरुणाचल प्रदेश के राजनीतिक विवाद को सुलझाने के लिए गठित न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर, न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति एन.वी.रमण की संविधान पीठ के सामने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने ये बातें कही।

अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के हटाए गए अध्यक्ष नबाम रेबिया की तरफ से पेश कपिल सिब्बल ने कहा, “विधानसभा के मामलों में राज्यपाल की सीमित भूमिका होती है। वह चौकीदार नहीं होता। उसका विधानसभा पर कोई नैतिक प्राधिकार नहीं होता।”

संविधान पीठ रेबिया की उस याचिका की सुनवाई कर रही है, जिसमें उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के दो गुटों के बीच की राजनैतिक उठापटक में राज्यपाल जे.पी.राजखोवा की भूमिका को चुनौती दी है।

सिब्बल ने राज्यपाल द्वारा रेबिया को भेजे उस संदेश पर हमला बोला, जिसमें उन्होंने रेबिया से राज्य विधानसभा के संविधान से छेड़छाड़ नहीं करने और विधानसभा के पहले से तय 14 जनवरी के सत्र को 16 दिसंबर को ही बुलाने के लिए कहा था। सिब्बल ने कहा, “ऐसी कोई शक्ति (राज्यपाल में संविधान द्वारा निहित) नहीं है, जो पहले बुला सके (विधानसभा सत्र को) और तात्कालिक मुद्दा यह है कि उन्होंने (राज्यपाल ने) यह विपक्ष के इशारे पर किया।”

इस पर न्यायालय ने कहा, “अगर उन्होंने (राज्यपाल ने) ऐसा किया है तो इस पर (फैसले की वैधता पर) फैसला न्यायालय कर सकती है।”

कांग्रेस के बागी विधायकों पर विधानसभा अध्यक्ष के फैसलों के खिलाफ राज्यपाल के उठाए कदमों को आड़े हाथ लेते हुए सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष की ‘अर्ध न्यायिक शक्तियों’ की निगरानी नहीं कर सकता।

सिब्बल ने इटानगर के सामुदायिक भवन में विधानसभा सत्र बुलाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल खुद से न तो सत्र बुला सकता है, न सदन को भंग कर सकता है। वह मुख्यमंत्री और उसके मंत्रिमंडल की राय के हिसाब से ही काम कर सकता है।

सिब्बल ने संविधान के तहत राज्यपाल और विधानसभा उपाध्यक्ष के अधिकारों के संबंध में अदालत के सामने छह सवाल रखे।

सुनवाई सोमवार को जारी रहेगी।

‘राज्यपाल को संविधान के तहत सीमित विवेकाधिकार’ Reviewed by on . नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय में शुक्रवार को कहा गया कि संविधान के तहत विधायिका का हिस्सा होने के बावजूद राज्यपाल के पास सीमित शक्तियां हैं। नई दिल्ली, 15 जनवरी (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय में शुक्रवार को कहा गया कि संविधान के तहत विधायिका का हिस्सा होने के बावजूद राज्यपाल के पास सीमित शक्तियां हैं। Rating:
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