नई दिल्ली, 9 मई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के श्रीपेरुं बुदूर में 21 मई, 1991 को चुनावी रैली के दौरान लिट्टे के आत्मघाती हमले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ मारे गए लोगों के परिवारों की याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। मारे गए लोगों के परिवार सात दोषियों की रिहाई का विरोध कर रहे थे।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “मामले में पूर्व की संविधान पीठ ने सभी पहलुओं को शामिल किया था और इसलिए मामले में कुछ भी नहीं बचा है। उपरोक्त के मद्देनजर रिट याचिका को खारिज किया जाता है।”
शीर्ष अदालत के फैसले के परिणामस्वरूप तमिलनाडु के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित, पूर्व प्रधानमंत्री व 16 अन्य की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए सात दोषियों को मुक्त करने के संदर्भ में फैसला लेंगे।
तमिलनाडु मंत्रिमंडल ने 9 सितंबर 2018 को दोषियों को रिहा करने की सिफारिश का एक आदेश पारित किया, लेकिन यह मामला राज्यपाल के समक्ष लंबित है। मामले में पीड़ित परिवारों की याचिका शीर्ष अदालत में लंबित थी।
साल 2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री जे.जयललिता ने दोषियों को रिहा करने का फैसला किया, जो पहले ही 28 साल की जेल में रह चुके थे। इसके बाद शीर्ष अदालत ने उनकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। के.रामसुगनंदम, जॉन जोसेफ, आर.माला, एम.सैमुवेल दिरावियम, अमेरिका वी.नारायणन व एस.अब्बास ने मौत की सजा के उम्रकैद में बदले जाने के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की।