जयपुर, 31 अक्टूबर (आईएएनएस)। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश जनवितरण प्रणाली में बदलाव की अनूठी पहल करते हुए शनिवार को भम्भौरी गांव में अन्नपूर्णा भण्डार का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की 25 हजार उचित मूल्यों की दुकानों को अन्नपूर्णा भण्डार में बदला जाएगा, ताकि ग्रामीण जनता को एक ही छत के नीचे मल्टी ब्रांड उपभोक्ता वस्तुएं वाजिब कीमतों पर मिल सकें। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में देश में अपनी तरह का यह अभिनव प्रयास है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्नपूर्णा भण्डार के खुलने के बाद अब गांवों में राशन की दुकानों का कायाकल्प होगा। इन भण्डार में 160 से अधिक उपभोक्ता वस्तुएं एमआरपी से तीन से तीस प्रतिशत तक कम कीमत पर उपलब्ध होंगी। राजे ने कहा कि इस साल 20 अगस्त को फ्यूचर ग्रुप के साथ एमओयू होने के बाद दिल्ली, मध्यप्रदेश एवं केरल ने अन्नपूर्णा भण्डार योजना में रुचि दिखाई है। उन्होंने सार्वजनिक-निजी सहभागिता पर आधारित इस योजना में भागीदार बनने पर फ्यूचर ग्रुप को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
राजे ने कहा, “पिछले साल जब मैं उदयपुर संभाग के दौरे पर गई थी तो डूंगरपुर के एक छोटे से गांव टामटिया में मैंने लैम्प्स द्वारा संचालित एक उचित मूल्य दुकान को देखा था। इस दुकान में पीडीएस वस्तुओं के अलावा खाद-बीज, सीमेंट एवं किराने का गुणवत्तायुक्त सामान लोगों को सस्ती दर पर उपलब्ध कराया जा रहा था। इसी से प्रेरित होकर मैंने सोचा कि क्यों न पूरे प्रदेश की उचित मूल्य दुकानों को इसी मॉडल पर डवलप किया जाए।
मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि यह देश का बड़ा उद्यमिता अभियान साबित होगा, जिसके तहत मार्च 2016 तक प्रथम चरण में प्रदेश के पांच हजार उचित मूल्य दुकानदार उद्यमी के रूप में काम करेंगे और इससे सार्वजनिक वितरण प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव की शुरूआत होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रथम चरण में जयपुर, जोधपुर एवं उदयपुर संभाग में एक-एक हजार तथा अजमेर, भरतपुर, बीकानेर एवं कोटा संभाग में 500-500 अन्नपूर्णा भंडार खोले जाएंगे।
राजे ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने के राज्य सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताया कि 1 अप्रैल, 2015 से डिजिटलाइज्ड राशन कार्ड बनाने का काम ई-मित्र के माध्यम से किया जा रहा है। इन राशन कार्ड के आधार पर पीओएस मशीन के जरिए बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद खाद्यान्न का वितरण किया जायेगा। प्रथम चरण में 5500 पीओएस मशीनें स्थापित करने के लिए 8 जिलों का चयन किया गया है।