राजस्थान के दौसा ज़िले के किसानों ने ज़मीन नीलामी में शामिल बैंक अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई और भूमि नीलामी प्रक्रिया को रद्द करने की मांग करते हुए राजधानी जयपुर में प्रदर्शन किया. वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने क़र्ज़ नहीं चुकाने वाले किसानों की कृषि भूमि को बैंकों द्वारा नीलाम किए जाने से रोकने के निर्देश दिए हैं.
जयपुर: वाणिज्यिक बैंकों से लिया कर्ज नहीं चुका पाने वाले किसानों की जमीनें नीलाम किए जाने के नोटिस और कार्रवाई को लेकर बीते बृहस्पतिवार को जयपुर में प्रदर्शन किया गया. वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कर्ज नहीं चुकाने वाले किसानों की कृषि भूमि को बैंकों द्वारा नीलाम किए जाने से रोकने के निर्देश दिए हैं.
भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा के नेतृत्व में दौसा जिले के किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल बृहस्पतिवार को जयपुर के अति सुरक्षा वाले सिविल लाइंस में मुख्यमंत्री के निवास के पास तक पहुंच गया था.
ये लोग जमीन नीलामी में शामिल बैंक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और भूमि नीलामी प्रक्रिया को रद्द करने की मांग कर रहे थे. हालांकि पुलिस ने मीणा को हिरासत में ले लिया और प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर कर दिया.
मीणा ने संवाददाताओं से कहा, ‘राज्य में लगभग 15 लाख किसानों पर 10,000 करोड़ रुपये का कर्ज है. यह सहकारी बैंकों से लिया गया कर्ज है और माफ नहीं किया जा रहा है. यहां आए किसानों के पास 5.5 एकड़ से कम जमीन है और उन्हें जमीन की नीलामी का नोटिस मिला है.’
उन्होंने कहा कि हाल ही में रामगढ़ पचवाड़ा में एक किसान ने आत्महत्या कर ली और पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया है.
प्रदर्शन में शामिल एक किसान ने कहा, ‘मेरे पिता ने राजस्थान ग्रामीण बैंक से ऋण लिया था. बैंक अधिकारियों ने मेरे पिता को परेशान किया और उन्होंने दो महीने पहले आत्महत्या कर ली. फिर भी, बैंक ने कुछ दिन पहले 45 लाख रुपये में 15 बीघा जमीन की नीलामी की. हमने सिर्फ 3.5 लाख रुपये का कर्ज लिया था.’
किसान नेता राकेश टिकैत ने दौसा जिले के रामगढ़ पचवाड़ा में उन परिवारों से मुलाकात की जिनकी जमीन नीलाम की गई है.
इस मामले के राजनीतिक तूल बनने के तुरंत बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने राज्य में वाणिज्यिक बैंकों से लिए गए ऋणों को चुकाने में विफल रहने वाले किसानों की कृषि भूमि की नीलामी को रोकने के निर्देश दिए.
मुख्यमंत्री ने बृहस्पतिवार को एक बयान में कहा, ‘राज्य में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अधीन आने वाले व्यावसायिक बैंक रोडा (रिमूवल ऑफ डिफिक्लटीज) कानून के तहत कर्ज चुकाने में असमर्थ किसानों की जमीनें जब्त करने एवं नीलामी की कार्रवाई कर रहे थे. राज्य सरकार के अधिकारियों को इस प्रक्रिया रोकने के निर्देश दिए गए हैं.’
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने सहकारी बैंकों के कर्ज माफ किए हैं और केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वाणिज्यिक बैंकों से एकमुश्त निपटान कर किसानों के कर्ज माफ करें. राज्य सरकार इसमें भी अपने हिस्से का बोझ उठाने को तैयार है.
उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार ने पांच एकड़ तक के कृषि भूमि वाले किसानों की जमीन की नीलामी पर रोक का विधेयक विधानसभा में पारित किया था, लेकिन राज्यपाल की अनुमति नहीं मिल पाने के कारण यह अभी तक कानून नहीं बन सका है. मुझे दुख है कि इस कानून के नहीं बन पाने के कारण ऐसी नौबत आई है.’
गहलोत ने उम्मीद जताई है कि इस विधेयक को जल्द अनुमति मिलेगी, जिससे आगे जमीनों की नीलामी की स्थिति नहीं पैदा होगी.
किसान नेता टिकैत ने दौसा में पत्रकारों से कहा, ‘नीलामी क्यों की गई. बैंक अधिकारियों के खिलाफ जांच की जानी चाहिए और मामला दर्ज किया जाना चाहिए. आप एक छोटे से ऋण के लिए किसान की पूरी जमीन नीलामी नहीं कर सकते. यह एक अवैध नीलामी थी. जमीन माफिया की नजर प्राइम लैंड पर है.’
उन्होंने कहा कि कई किसानों को इसी तरह के नोटिस मिले हैं. हम इस मुद्दे पर बैंक अधिकारियों से मिलेंगे और आगे की कार्रवाई तय करेंगे.
राज्य में ऋण चुकाने में असमर्थ किसानों की भूमि की नीलामी के लिए नोटिस जारी करने के कई मामले हाल ही में सामने आए थे.
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, बैंक राजस्थान कृषि ऋण संचालन (कठिनाई निवारण) अधिनियम, 1974 (रोडा अधिनियम) के तहत भूमि की नीलामी कर रहे हैं.
मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने भी इस मुद्दे पर कांग्रेस नीत राज्य सरकार पर निशाना यह आरोप लगाते हुए साधा कि राज्य सरकार पूर्ण ऋण माफी के अपने वादे को पूरा करने में विफल रही है.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने ट्वीट किया, ‘2018 में राहुल गांधी के चुनावी वादे के कारण राजस्थान के किसानों की जमीनें नीलाम हो रही हैं, किसान आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं.’
भाजपा ने ट्वीट कर कहा, ‘अशोक गहलोत बताएं कि जिन किसानों की जमीनों की नीलामी हो चुकी, जिन किसानों के परिवारों में हताशा और निराशा है, उनका क्या होगा?’