नई दिल्ली, 25 फरवरी (आईएएनएस)। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) सरकार पर देश को हिंदू राष्ट्र में तब्दील करने की कोशिश करने का आरोप लगाया। साथ ही जेएनयू, हैदराबाद विवि और अन्य संस्थानों में मची उथलपुथल की जांच के लिए एक गृह या सदन समिति बनाने की मांग की।
येचुरी ने यह बात राज्यसभा में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), हैदराबाद विवि और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में मची उथल-पुथल पर चर्चा शुरू कराते हुए कही।
उन्होंने कहा, “यह धर्मनिरपेक्ष भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की कोशिश है।”
उन्होंने कहा कि जेएनयू के विद्यार्थियों के खिलाफ की गई पुलिस कार्रवाई और दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या की परिस्थितियां छिटपुट घटनाएं नहीं बल्कि देश को हिंदू राष्ट्र में बदलने की एक बड़ी परियोजना का हिस्सा हैं।
येचुरी ने कहा, “जेएनयू में जो हुआ, वह केवल एक विवि तक सीमित रहने वाला मामला नहीं है। आपने देखा पुणे, इलाहाबाद, जाधवपुर और अलग-अलग जगहों पर क्या हुआ।”
वहीं, सभी केंद्रीय विवि पर राष्ट्रीय ध्वज लगाने की सरकार की योजना के बारे में उन्होंने कहा कि उनके दिल में ‘कहीं अधिक बड़ा तिरंगा’ है।
उन्होंने हालांकि शैक्षणिक संस्थानों में देश-विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि अगर इस जैसी कोई हरकत हो रही है, तो इससे यकीनन कानून के अनुसार निपटना चाहिए।
माकपा महासचिव ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में विद्यार्थियों और पत्रकारों पर हुए हमले के मामले में सरकार और दिल्ली पुलिस की कथित अकर्मण्यता की निंदा की।
उन्होंने कहा,”दिल्ली पुलिस के प्रमुख का कहना है कि विद्यार्थी दोषी हैं। यह मौजूदा सिस्टम के खिलाफ है, जो कहता है कि जब तक दोष सिद्ध न हो, आरोपी दोषी नहीं है।”
उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा, “देश में क्या हो रहा है।”
येचुरी ने अपने 25 मिनट से लंबे भाषण में कहा कि अगर नारेबाजी करना देश-विरोधी काम है, तो वह भी नारे लगाना चाहेंगे और गिरफ्तारी को भी तैयार हैं।
वहीं, भाजपा के भूपेंद्र यादव ने केंद्र सरकार की कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि जेएनयू के आरोपी छात्र देश विरोधी नारे लगा रहे थे और इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया।
यादव ने कहा, “येचुरी जी आपको जानना चाहिए कि क्या वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए नारे लगा रहे थे या भाषण के लिए स्वतंत्रता के नारे लगा रहे थे।”