स्टाकहोम, 8 अक्टूबर- रसायन शास्त्र के क्षेत्र में इस वर्ष का नोबल पुरस्कार संयुक्त रूप से एरिक बेटजिग, स्टीफन डब्ल्यू.हेल और विलियम ई.मोरनर को दिया गया है। द रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ साइंस ने बुधवार को यह घोषणा की। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार अमेरिका के वर्जीनिया स्थित हॉवर्ड ह्यूजेस मेडिकल इंस्टीट्यूट में जेनेलिया फार्म रिसर्च कैंपस के बेटजिग, गोटिंगन में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट ऑफ बायोफिजिकल केमिस्ट्री और हाइडेलबर्ग में जर्मन कैंसर रिसर्च सेंटर के हेल तथा अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के मोरनर को सुपर रिजॉल्व फ्लोरोसेंट माइक्रोस्कोपी के विकास के लिए दिया जाएगा।
माइक्रोस्कोपिस्ट अर्न्स्ट एबे ने 1873 में पारंपरिक माइक्रोस्कोपी में अधिकतम रिज्योल्यूशन के लिए एक सीमा तय की थी, जिसे 0.2 माइक्रोमीटर से बेहतर नहीं किया जा सका था।
रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ साइंस ने अपने बयान में कहा है कि बेटजिग, हेल और मोरनर ने इस सीमा को आगे बढ़ाया है, इसलिए उन्हें 2014 का रसायन शास्त्र का नोबल पुरस्कार दिया जा रहा है।
इस उपलब्धि के साथ ही ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप अब पहले से कहीं बेहतर हो गया है।