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 रमजान के आखिरी जुमे की नमाज क्यों है विशेष? | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

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रमजान के आखिरी जुमे की नमाज क्यों है विशेष?

03_08_2013-ramadanनई दिल्ली। मुगलकालीन जामा मस्जिद में रमजान के आखिरी जुमे की नमाज पढ़ने वालों को कोई परेशानी न हो, इस बाबत सुबह से ही तैयारियां चल रही थी। निर्धारित समय पर नमाज पढ़ने के लिए इतने लोग एकत्रित हुए कि परिसर में जगह कम पड़ गया। जिसके बाद लोगों ने सड़क पर आकर नमाज पढ़ रमजान को अलविदा कहा।

इबादत गुजारों में युवा, बुजुर्ग के अलावा बच्चे भी शामिल थे। रमजान के अन्य जुमे की तुलना आखिरी जुमे को मस्जिदों में इबादत करने वाले लोगों की संख्या कहीं अधिक थी।

जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने नमाजियों को अलविदा जुमे के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने नमाज के दौरान अमन चैन व मुल्क की तरक्की के लिए दुआ मांगी।

मालूम हो कि अलविदा जुमे का खास महत्व है। लोगों को इसका इंतजार रहता है। चांदनी चौक स्थित फतेहपुरी मस्जिद में भी लोगों ने आखिरी जुमे की नमाज पढ़कर रमजान को अलविदा कहा।

क्यों है विशेष-

अलविदा जुमे की नमाज का विशेष महत्व है। यह अफजल जुमा होता है। इससे जहन्नम से निजात मिलती है। इसमें सबसे ज्यादा फल मिलता है। यह आखिरी असरा है, जिसमें एक ऐसी रात होती है, जिसे तलाशने पर हजारों महीने की इबादत का लाभ एक साथ मिलता है।

अलविदा जुमा नमाज के बाद मांगी अमन चैन की दुआ-

गाजियाबाद-महानगर में विभिन्न मस्जिदों में रमजान के आखिरी जुमे यानि जुमा अलविदा की नमाज मुस्लिम भाइयों में पढ़ी। नमाज के इन लोगों ने देश-दुनिया में अमन चैन की दुआ की। लोगों ने अपने गुनाहों से तौबा की और दुनिया और आखिरत की बेहतरी के लिए भी दुआ मांगी।

मरकज मस्जिद में शहर इमाम कारी मौहम्मद फारूख, मिर्जापुर की मस्जिद में हाफिज इंतजार, दिल्ली गेट मस्जिद में कारी इसलामुद्दीन ने नमाज पढ़ाई। इसके अलावा महानगर में डासना गेट, रोगन ग्राम, कस्साबान,गंदा नाला, सराय नजर आली, कैला भटठा, इसलामनगर, चमन कालोनी, अमन कालोनी समेत अनेक मस्जिदों में जुमा अलविदा की नमाज पढ़ाई गई।

मुसलमानों ने पढ़ी अलविदा की नमाज-

कोलकाता- रमजान के आखिरी जुमे पर मस्जिदों में अलविदा की नमाज पढ़ने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। महानगर की हर छोटी-बड़ी मस्जिदों में अलविदा की नमाज अदा की गई। जगह की कमी होने पर कुछ मस्जिदों के सामने सड़क पर कपड़े बिछा कर नमाज पढ़ने के इंतजाम किए गए थे। धर्मतल्ला स्थित टीपू सुल्तान मस्जिद और नाखोदा मस्जिद में भारी तादाद में मुसलमानों ने अलविदा की नमाज अदा की। सुबह से ही लोग अलविदा की नमाज की तैयारी में लगे रहे। दोपहर को आजान होते ही साफा-सुथरे कपड़े पहने लोगों की तदाद मस्जिदों की ओर बढ़ने लगी जिसमें बच्चे, बुजुर्ग और नौजवान भी शामिल थे। कुछ लोग नए पोशाक भी धारण किए हुए थे।

टीपू सुल्तान मस्जिद के शाही इमाम मौलाना एसएमएनआर बरकती ने कहा कि बड़े तादात में लोगों ने जुमातूलवेदा की नमाज अदा की। टीपू सुल्तान मस्जिद में नमाज के बाद कौम की सलामती और मुल्क की तरक्की के लिए दुआएं मांगी गई। मौलाना बरकती ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित सरकार के अन्य कई मंत्रियों ने नमाज के बाद उन्हें और राज्य के सभी मुसलमानों को मुबारकवाद दिया।

उन्होंने कहा कि अगले जुमे को अलविदा की नमाज पर संदेह है। इसलिए इसी जुमे को नमाज अदा की गई है। अगले जुमरात को चांद दिखेगा तो जुमा को ईद मनाई जाएगी। आगामी शुक्रवार को चांद दिखने पर शनिवार को ईद मनाई जाएगी। मौलाना बरकती ने कहा कि रमजान का आखिरी जुमा ईद का पैगाम लेकर आता है। इसलिए इस मौके पर खुशी का माहौल दिखता है। रमजान के आखिरी जुमा में दो रेकात की नमाज में 140 रेकात का शबाव मिलता है। खुदा अपने बंदों की हर दुआ कबुल करता है। इसलिए हर रोजेदार और इस्लाम में इमान रखने वाला मुसलमान जुमातूलवेदा की नमाज पढ़ने का मौका गंवाता नहीं है। पूरे माह रोजा रखने वाले बंदों को अलवेदा की नमाज के बाद जहां पाक रमजान के रुखशत होने का गम होता है वहीं इबादत के फल के रूप में ईद की खुशी का अहसास भी होता है।

जुमे की नमाज अता करने उमड़े सैकड़ों रोजेदार-

रोहतक- रमजान माह में रहमत व बरकत से भरे जुमे के दिन शहर की विभिन्न मस्जिदों में नमाज अता करने वाले रोजेदारों का जन सैलाब उमड़ पड़ा। जुमे की नमाज अता करने में 18 वर्ष तक बच्चे भी पीछे नहीं रहे। किला रोड स्थित लाल मस्जिद में दोपहर डेढ बजे रोजेदारों ने जुमा अता किया उसके बाद नमाज अता की। रोजेदारों का मस्जिद के साथ-साथ किला रोड़ की सड़क पर भी कब्जा रहा। रोजेदारों की भावनाओं का ध्यान रखते हुए नमाज के समय वहां जाम की स्थिति पैदा हो गई। ऐसा ही कुछ हाल नुरानी मस्जिद व शीशे वाली मस्जिद का रहा। मुसलमानों के लिए जुमे का दिन अल्लाह की रहमत को पाने वाला दिन माना जाता है, इसलिए जुमे को लेकर मुसलमानों में खासा उत्साह दिखाई दिया।

शुक्रवार को शहर की विभिन्न मस्जिदों में जुमे की नमाज अता की गई। इसमें खत्म सेहरी 4:09 बजे रही, तो वक्त इफ्तार शाम 7:17 बजे रहा। पवित्र रमजान के अंतिम दिनों में रोजेदारों ने इस्लामी शरीअत में अल्लाह को खुश करने के लिए रोजा रखा। इसके लिए उन्होंने अल्लाह के सामने झुक कर माथा टेककर सुख शांति व अमन चैन की दुआएं मांगी। नमाज के समय सड़कों पर रोजेदारों की भारी भीड़ देखने को मिली। जग तक नमाज पुरी नहीं हुई तब तक दोनों तरफ की सड़के जाम रही। रोजेदारों की भावनाओं का लोगों ने बखूबी ख्याल रखा। कहते है कि सभी धर्म समान होते है उसकी अमिट मिशाल लाल मस्जिद में देखने को मिली, जहां रोजेदारों द्वारा सड़क जाम करने पर भी किसी प्रकार की कोई हिंसक घटना सुनने को नहीं मिली।

अल्लाह की इबादत में एक साथ झुके सैकड़ों सिर-

गुड़गांव- एक ही सफ पर बैठ गए महमूद और अयाज न कोई बंदा रहा न कोई बंदा नवाज। एक साथ सैकड़ों सिर खुदा की इबादत के लिए झुके। रमजान के आखिरी जुमे की नमाज पढ़ते खुदा के बंदों ने भाईचारे, मुहब्बत और अमन की दुआ मांगी। नेशनल हाई वे स्थित ईदगाह मैदान से लेकर सर्विस लेन तक नमाजियों की बड़ी संख्या अल्लाह की बंदगी में एक साथ सिर झुकाती नजर आई। सदर बाजार स्थित जामा मस्जिद में भी काफी संख्या में लोग अंतिम जुमे की नमाज पढ़ने जुटे। नमाज के बाद आस-पास के इलाकों के रोजेदारों की गहमागहमी देखी गई। पटौदी चौक स्थित मस्जिद समेत शहर की तमाम मस्जिदों में अंतिम जुमे की नमाज के लिए इबादतगुजार पहुंचे।

सदर बाजार में लोगों ने नमाज के बाद आने वाली ईद की खरीदारी करते भी देख गए। बाजार में रमजान को लेकर टोपियां,कपड़ों, ईत्र खजूर और तरह-तरह की सिवईयां बिक रही हैं। कई लोग बाजार में खरीदारी करते दिखे। विभिन्न रिटेल स्टोर में भी रमजान विशेष खाने-पीने की चीजों के लिए अलग कार्नर बनाए गए हैं।

जुमा: अलविदा हूं अलविदा माहे रमजान-

हरिद्वार- रमजान के अलविदा जुमे पर नमाजियों ने जहां नमाज के बाद दुआ मांगी वही उसके बाद उन्होने गरीबों को खैरात भी बांटी। इस मौके पर हर मस्जिद में नमाज से पहले इमाम ने अपनी तकरीर की है। उन्होने सभी को पैगाम दिया कि वह रमजान के इस पाक मुकदद्स में जितना भी अपनी जान माल की खैरात दे सके दें। 1रमजान के इस पाक मुकदद्स महीने के जुमा अलविदा के मौके पर हर मस्जिद में जहां इमामों ने अपनी तकरीर की है।

बड़ी जामा मस्जिद कटहरा बाजार में मौलाना आरिफ ने अपनी तकरीर में लोगों से कहा कि वह इस महीने में जितनी भी गरीबों की मदद कर सकें करें। शाही मस्जिद के इमाम मौलाना इस्त्राईल कासमी ने कहा कि इस महीने में जिन लोगों ने कुरान पाक सुना है उसका उतना ही सवाब मिलता है जितना कि सुनाने वाले को मिलता है। मौलाना ने कहा कि इस महीने में अपने मदरसों व गरीबों की खुलकर मदद करें। नगर व देहात की जिन मस्जिदों में अलविदा जुमे की नमाज हुई है उनमें पांवधाई, हच्जाबान, कस्साबान, खैरादियान, अंसारियान, रामरहीम कालोनी, मैदानियान, कोटरवान, इस्लामनगर, भेल की मस्जिद शामिल हैं। इसके अलावा जिन ग्रामीण क्षेत्रों में नमाज हुई उनमें ग्राम सराय, गाड़ोवाली, धनपुरा, पदार्था, गढ़मीरपुर, गढ़, सलेमपुर, लालढांग के अलावा बहादराबाद शामिल हैं। अब रोजेदार ईद की तैयारियों में जुट गए हैं। बाजारों में भी रौनक दिखायी देने लगी है।

रमजान के आखिरी जुमे की नमाज क्यों है विशेष? Reviewed by on . नई दिल्ली। मुगलकालीन जामा मस्जिद में रमजान के आखिरी जुमे की नमाज पढ़ने वालों को कोई परेशानी न हो, इस बाबत सुबह से ही तैयारियां चल रही थी। निर्धारित समय पर नमाज नई दिल्ली। मुगलकालीन जामा मस्जिद में रमजान के आखिरी जुमे की नमाज पढ़ने वालों को कोई परेशानी न हो, इस बाबत सुबह से ही तैयारियां चल रही थी। निर्धारित समय पर नमाज Rating:
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