Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/load.php on line 926

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826

Deprecated: Function get_magic_quotes_gpc() is deprecated in /home4/dharmrcw/public_html/wp-includes/formatting.php on line 4826
 रजरप्पा.. जहां होती है बिना सिर वाली देवी मां की पूजा | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

Home » धर्मंपथ » रजरप्पा.. जहां होती है बिना सिर वाली देवी मां की पूजा

रजरप्पा.. जहां होती है बिना सिर वाली देवी मां की पूजा

रांची, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। झारखंड की राजधानी रांची से करीब 80 किलोमीटर दूर रजरप्पा स्थित छिन्नमस्तिके मंदिर शक्तिपीठ के रूप में काफी विख्यात है। यहां भक्त बिना सिर वाली देवी मां की पूजा करते हैं और मानते हैं कि मां उन भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

रांची, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। झारखंड की राजधानी रांची से करीब 80 किलोमीटर दूर रजरप्पा स्थित छिन्नमस्तिके मंदिर शक्तिपीठ के रूप में काफी विख्यात है। यहां भक्त बिना सिर वाली देवी मां की पूजा करते हैं और मानते हैं कि मां उन भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

मान्यता है कि असम स्थित मां कामाख्या मंदिर सबसे बड़ी शक्तिपीठ है, जबकि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शक्तिपीठ रजरप्पा स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर ही है।

रजरप्पा के भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित मां छिन्नमस्तिके मंदिर आस्था की धरोहर है।

मंदिर के वरिष्ठ पुजारी असीम पंडा ने आईएएनएस को बताया कि वैसे तो यहां साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है, लेकिन शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि के समय भक्तों की संख्या बढ़ जाती है।

मंदिर की उत्तरी दीवार के साथ रखे एक शिलाखंड पर दक्षिण की ओर रुख किए माता छिन्नमस्तिके का दिव्य रूप अंकित है। मंदिर के निर्माण काल के बारे में पुरातात्विक विशेषज्ञों में मतभेद है। कई विशेषज्ञ का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण 6000 वर्ष पहले हुआ था और कई इसे महाभारतकालीन का मंदिर बताते हैं।

छिन्नमस्तिके मंदिर के अलावा, यहां महाकाली मंदिर, सूर्य मंदिर, दस महाविद्या मंदिर, बाबाधाम मंदिर, बजरंगबली मंदिर, शंकर मंदिर और विराट रूप मंदिर के नाम से कुल सात मंदिर हैं। पश्चिम दिशा से दामोदर तथा दक्षिण दिशा से कल-कल करती भैरवी नदी का दामोदर में मिलना मंदिर की खूबसूरती का बढ़ावा देता है।

मंदिर के अंदर जो देवी काली की प्रतिमा है, उसमें उनके दाएं हाथ में तलवार और बाएं हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर है। शिलाखंड में मां की तीन आंखें हैं। बायां पैर आगे की ओर बढ़ाए हुए वह कमल पुष्प पर खड़ी हैं। पांव के नीचे विपरीत रति मुद्रा में कामदेव और रति शयनावस्था में हैं।

मां छिन्नमस्तिके का गला सर्पमाला तथा मुंडमाल से सुशोभित है। बिखरे और खुले केश, आभूषणों से सुसज्जित मां नग्नावस्था में दिव्य रूप में हैं। दाएं हाथ में तलवार तथा बाएं हाथ में अपना ही कटा मस्तक है।

इनके अगल-बगल डाकिनी और शाकिनी खड़ी हैं जिन्हें वह रक्तपान करा रही हैं और स्वयं भी रक्तपान कर रही हैं। इनके गले से रक्त की तीन धाराएं बह रही हैं।

माता द्वारा सिर काटने के पीछे एक पौराणिक कथा है। जनश्रुतियों और कथा के मुताबिक कहा जाता है कि एक बार मां भवानी अपनी दो सहेलियों के साथ मंदाकिनी नदी में स्नान करने आई थीं। स्नान करने के बाद सहेलियों को इतनी तेज भूख लगी कि भूख से बेहाल उनका रंग काला पड़ने लगा। उन्होंने माता से भोजन मांगा। माता ने थोड़ा सब्र करने के लिए कहा, लेकिन वे भूख से तड़पने लगीं।

सहेलियों के विनम्र आग्रह के बाद मां भवानी ने खड्ग से अपना सिर काट दिया, कटा हुआ सिर उनके बाएं हाथ में आ गिरा और खून की तीन धाराएं बह निकलीं।

सिर से निकली दो धाराओं को उन्होंने उन दोनों की ओर बहा दिया। बाकी को खुद पीने लगीं। तभी से मां के इस रूप को छिन्नमस्तिका नाम से पूजा जाने लगा।

पुजारी कन्हैया पंडा के मुताबिक, यहां प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में साधु, महात्मा और श्रद्धालु नवरात्रि में शामिल होने के लिए आते हैं। 13 हवन कुंडों में विशेष अनुष्ठान कर सिद्धि की प्राप्ति करते हैं। मंदिर का मुख्य द्वारा पूरब मुखी है। मंदिर के सामने बलि का स्थान है। बलि-स्थान पर प्रतिदिन औसतन सौ-दो सौ बकरों की बलि चढ़ाई जाती है।

रजरप्पा जंगलों से घिरा हुआ है, इसलिए एकांत वास में साधक तंत्र-मंत्र की सिद्धि प्राप्ति में जुटे रहते हैं। नवरात्रि के मौके पर असम, पश्चिम बंगाल, बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत कई प्रदेशों से साधक यहां जुटते हैं।

रजरप्पा.. जहां होती है बिना सिर वाली देवी मां की पूजा Reviewed by on . रांची, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। झारखंड की राजधानी रांची से करीब 80 किलोमीटर दूर रजरप्पा स्थित छिन्नमस्तिके मंदिर शक्तिपीठ के रूप में काफी विख्यात है। यहां भक्त बिना रांची, 10 अप्रैल (आईएएनएस)। झारखंड की राजधानी रांची से करीब 80 किलोमीटर दूर रजरप्पा स्थित छिन्नमस्तिके मंदिर शक्तिपीठ के रूप में काफी विख्यात है। यहां भक्त बिना Rating:
scroll to top