बीते कई दिनों से देश में फ्लू (Flu) के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं. डॉक्टरों के मुताबिक फ्लू के ज्यादातर मामले H3N2 संक्रमण के आ रहे हैं. केंद्र और कई राज्यों की सरकार इसे लेकर अलर्ट मोड पर हैं. इस बीच आजतक की रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में H3N2 के संक्रमण से 7 मरीजों की मौत हो चुकी है. H3N2 फ्लू के मामले नये नहीं हैं. आपने इन्फ्लूएंजा वायरस का नाम सुना होगा. ये वायरस नाक, गले और फेफड़े में समस्या करते हैं, जिसे आम भाषा में फ्लू कहा जाता है. फ्लू के मामले हर साल आते हैं, जिसे हम सीजनल फ्लू कहते हैं.
H3N2 इन्फ्लूएंजा A का ही सब-टाइप है. फ्लू के कारण मौत होना भी कोई नई बात नहीं है. डॉक्टरों के मुताबिक फ्लू के गंभीर मामलों में ही मौत का खतरा होता है. इसलिए ये जरूरी है कि हम फ्लू के लक्षणों पर ध्यान दें. हमें पता होना चाहिए कि फ्लू में वो कौन से लक्षण होते हैं, जो जानलेवा साबित हो सकते हैं और किन लोगों को फ्लू से गंभीर दिक्कतों का खतरा है.
क्या हैं H3N2 फ्लू के लक्षण?
H3N2 के कारण होने वाले फ्लू में भी वही लक्षण सामने आने आते हैं, जो दूसरे सीजनल इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाले फ्लू में होते हैं. इसके कुछ कॉमन लक्षण, जो नज़र आ सकते हैं-
खांसी
नाक बहना या नाक बंद होना
गले में दिक्कत
सिर दर्द
शरीर में दर्द
बुखार या बुखार जैसा महसूस होना
कंपकंपी
थकान
दस्त
मिचली या उल्टी
अमेरिका के सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक सीजनल फ्लू में ज्यादातर लोग कुछ दिनों से लेकर दो हफ्ते में ठीक हो जाते हैं. वहीं कुछ लोगों में फ्लू के कारण गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं, जिनमें से कुछ समस्याएं जानलेवा हो सकती हैं. इसमें निमोनिया या अगर पहले से कोई बीमारी हो, तो वो और बदतर हो सकती है. जैसे, अगर किसी को अस्थमा है और वो H3N2 से संक्रमित हो जाए, तो उसकी अस्थमा की दिक्कत और बढ़ सकती है.
तुरंत डॉक्टर के पास जाएं अगर…
अगर आपको सांस लेने में दिक्कत हो क्योंकि ये निमोनिया या सांस की दूसरी गंभीर दिक्कतों का संकेत हो सकता है.
सीने या पेट में दर्द या दबाव महसूस हो.
अचानक चक्कर आने लगे.
बहुत ज्यादा और लगातार उल्टी हो क्योंकि इसके कारण गंभीर डिहाइड्रेशन हो सकता है.
होंठ या चेहरे पर नीलापन लो ऑक्सीजन लेवल का संकेत हो सकता है, ऐसे में तुरंत मेडिकल हेल्प लेने की जरूरत होती है.
अगर आपको फ्लू के लक्षणों से राहत महसूस होनी शुरू हो जाए, लेकिन फिर खांसी और बुखार जैसे लक्षण बदतर होने लगे. ऐसी हालत में भी डॉक्टर के पास जरूर जाएं.
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किन लोगों को ज्यादा खतरा?
दिल्ली के होली फैमिली हॉस्पिटल के क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट डॉक्टर सुमित रे बताते हैं कि हाई रिस्क ग्रुप वाले लोगों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. ऐसे लोगों को फ्लू के कारण हॉस्पिटल में एडमिट करने की जरूरत पड़ सकती है. अब, इस हाई रिस्क ग्रुप में ये लोग आते हैं-
उम्रदराज लोग जैसे 65 साल से अधिक उम्र के लोग
5 साल से कम उम्र के बच्चे
प्रेग्नेंट महिलाएं
अस्थमा, डायबिटीज या दिल की बीमारियों से जूझ रहे लोग
कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग
इन्फ्लूएंजा A का सब-टाइप है H3N2
इन्फ्लूएंजा वायरस के 4 टाइप होते हैं- A, B, C और D. इन्फ्लूएंजा के A, B और C टाइप इंसानों में संक्रमण कर सकते हैं. इनमें से भी हर साल सीजनल फ्लू, इन्फ्लूएंजा वायरस के टाइप A और टाइप B के कारण फैलता है.
इन्फ्लूएंजा A वायरस के कई सब-टाइप हैं, जिन्हें वायरस की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन के आधार पर बांटा गया है. H3N2 उन्हीं सब-टाइप में से एक है. इसी तरह से आपने H1N1 का नाम भी सुना होगा, जिसे स्वाइन फ्लू भी कहते हैं.
सिर्फ किसी के लक्षण देखकर ये पता नहीं लगाया जा सकता है कि उसे फ्लू है या नहीं या उसे इन्फ्लूएंजा के कौन से वायरस का संक्रमण है. इसका पता लगाने के लिए लैब टेस्ट कराने की जरूरत होती है.
फ्लू को कैसे कंट्रोल करें?
इन्फ्लूएंजा से बचाव और इसे नियंत्रित करने के लिए कोरोना काल वाले नियम ही अपनाने की जरूरत है. ICMR की ओर से इसके लिए गाइडलाइन्स जारी की गई हैं-
– साबुन और पानी से अपने हाथ धोएं.
– अगर फ्लू के कोई लक्षण हैं, तो मास्क पहनें और भीड़ में ना जाएं.
– खांसते और छींकते समय अपने नाक और मुंह को कवर करें.
– फ्लू के लक्षण हैं, तो खाने में पर्याप्त मात्रा में तरल चीजें लें.
– बुखार और बदन में दर्द के लिए पैरासिटामोल की गोली लें.
– खुद से बिना डॉक्टर की सलाह के कोई एंटीबायोटिक या कोई और दवा ना लें.
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