नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। यूरोपीय आयोग ने भारत से आम आयात पर प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है। यूरोपीय आयोग ने 20 जनवरी, 2015 को ब्रसेल्स में आयोजित अपनी बैठक में संबंधित ऑडिट के निष्कर्षो पर गौर करने के बाद इस आशय का निर्णय लिया।
देश के किसानों एवं निर्यातकों के साथ-साथ यूरोप, खासकर ब्रिटेन के आम प्रेमियों ने भी इस खबर पर खुशी जताई है।
कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के प्रयासों का जिक्र करते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि यूरोपीय बाजार में प्रवेश करने वाले ताजा फलों एवं सब्जियों की जांच एवं प्रमाणन प्रणाली में आमूलचूल बदलाव किया गया। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा पौध स्वच्छता से जुड़े निरीक्षकों, निर्यातकों, पैक हाउस ऑपरेटरों इत्यादि को गहन प्रशिक्षण दिया गया।
वरिष्ठ अधिकारियों ने देशभर में फैले पैक हाउसों का दौरा किया, ताकि संबंधित बुनियादी ढांचे के साथ-साथ निर्यात खेप तैयार करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं में आवश्यक बदलाव किए जा सकें। राज्य सरकारों, एपीडा एवं निर्यातकों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर स्थित उन इकाइयों ने भी कृषि मंत्रालय की अगुवाई में उठाए गए कदम को अपनी ओर से पूर्ण समर्थन प्रदान किया, जो जल्द खराब होने वाली वस्तुओं का संचालन करती हैं।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने जर्मनी, यूरोपीय संघ, हालैंड और ब्रिटेन के प्रतिनिधियों को आम निर्यात पर लगाये गए प्रतिबंध पर भारत की चिंता से अवगत कराया था।
यूरोपीय संघ द्वारा गिनाई गई सभी खामियां अगस्त, 2014 तक दूर कर दी गई थीं। यूरोपीय संघ की एक ऑडिट टीम ने सितम्बर, 2014 में सरकारी निमंत्रण पर भारत का दौरा किया था। कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव की अगुवाई में एक टीम ने भारत द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी यूरोपीय संघ के ऑडिटरों को दी थी।
पौध स्वच्छता नियंत्रण की पूरी श्रृंखला के विस्तृत मूल्यांकन के लिए इस तकनीकी ऑडिट टीम ने देश में 10 दिन बिताए थे। इस टीम द्वारा पेश की गई ऑडिट रिपोर्ट में यह बात रेखांकित की गई थी कि भारत ने पौध स्वच्छता नियंत्रण प्रणाली में व्यापक सुधार किए हैं।
भारत यूरोपीय संघ के देशों को तरह-तरह के ताजा फलों एवं सब्जियों का निर्यात करता रहा है, जिनमें आम सबसे प्रमुख है। हानिकारक कीटों से पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखते हुए यूरोपीय आयोग ने मई, 2014 में भारत से आम, करेला, अरबी, चिचिण्डा और बैंगन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था। दरअसल, यह अंदेशा जताया जा रहा था कि इन कीटों से इस क्षेत्र में जैव सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
यूरोपीय आयोग के इस निर्णय से भारत में किसानों और निर्यातकों पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा था। इसे ध्यान में रखते हुए कृषि मंत्रालय ने किसानों की चिंता दूर करने के लिए अनेक ठोस कदम उठाए।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।