पार्टी की राज्य स्थायी समिति के सदस्य अरुण कुमार ने कहा, “गौतमबुद्ध नगर में दादरी के रामगढ़ गांव में दलित समुदाय के कार्यकर्ता ब्रह्म जाटव, विकास व भुवनेश को प्रदेश पुलिस ने प्रभावशाली समुदाय के दो लोगों पर गोली चलाने का झूठा आरोप मढ़कर गिरफ्तार कर लिया, ताकि वे उत्पीड़न के एक अन्य मामले में अदालत में गवाही न दे सकें। इनकी गिरफ्तारी ऐन मुकदमे की सुनवाई से पहले की गई।”
अरुण ने कहा कि रामगढ़ गांव के दलित 2012 से ही उत्पीड़न, हिंसा और झूठे मुकदमों के शिकार हैं। जब उन्होंने पहली बार अपनी पंचायत की जमीन पर अपना दावा पेश किया था। उस समय के ग्राम प्रधान कुलदीप भाटी और उसके गुंडों ने तलवारों व कुल्हाड़ियों से दलित समुदाय के लोगों पर हमला किया था। एक युवा दलित टिंकू राम को तो जबर्दस्ती रेल की पटरी पर डाल दिया गया था, जिसमें उसकी दोनों टांगें कट गई थीं। उस समय भी कई युवा दलितों को झूठे मुकदमों में महीनों जेल काटनी पड़ी थी।
माले सदस्य ने कहा कि अभी भी टिंकू राम पर हमले का मुकदमा जिला न्यायालय में लटका हुआ है, क्योंकि हमलावर पुलिस से मिलीभगत करके तरह-तरह के बहानों से उसे आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 31 अगस्त को उसी मामले में टिंकू राम के पक्ष में गवाहियां होनी थीं, लेकिन दबंग अभियुक्तों की मांग पर मुकदमे की तिथि टाल दी गईं। दो दिन बाद पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया, उन्हीं को गवाहियां देनी थीं। इससे स्पष्ट है कि टिंकू राम के केस को कमजोर करने के लिए ही इन दलित कार्यकर्ताओं को झूठे मामले मे फंसा कर गिरफ्तारियां की गई हैं।
अरूण ने कहा कि रामगढ़ गांव से पिछले पंचायत चुनाव में दलित प्रत्याशी कामरेड मंजू पहली बार ग्राम प्रधान का चुनाव जीती हैं। मंजू के पति ब्रह्म जाटव, टिंकू राम के भाई भुवनेश और चचेरे भाई विकास को फंसाने का मतलब यह भी है कि पंचायत चुनाव में पहली बार एक दलित प्रत्याशी को मिली जीत दबंगों को बर्दास्त नहीं हो रही है।
उन्होंने इन तीनों युवा कार्यकर्ताओं की अविलंब बिना शर्त रिहाई और पुलिस द्वारा दलितों के उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगाने की मांग की।