नई दिल्ली, 17 अगस्त (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक को उसकी रजिस्ट्री के पास 15 करोड़ रुपये जमा करने को कहा। यह पैसा कंपनी की गुड़गांव स्थित विस्टा परियोजना में खरीदारों को फ्लैटों का कब्जा देने में देरी होने की वजह से उनके मूलधन के रूप में लौटाया जाएगा। दो किश्तों में 5 करोड़ और 10 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश देते हुए न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और उदय उमेश ललित की पीठ ने कहा, “हम यह देखकर दुखी हैं कि किस तरह खरीदारों को परेशान किया गया है।”
फ्लैट खरीदने वालों को उनका मूलधन लौटाने का निर्देश देते हुए पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने यूनिटेक को ब्याज भुगतान के लिए जो आदेश दिया है, उसे विचार के लिए खुला रखा है।
अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि 4 अक्टूबर तय की है।
यूनिटेक रेजिडेंशियल रिसार्ट्स लिमिटेड को दो हफ्ते में 5 करोड़ और सितंबर के अंत तक 10 करोड़ रुपये जमा करने को कहते हुए न्यायमूर्ति मिश्र ने कंपनी को फ्लैट खरीदने वालों का मूल धन लौटाने को कहा। ऐसा नहीं करने पर एनसीडीआरसी के आदेश के खिलाफ दायर उसकी अपील खारिज कर दी जाएगी।
भवन निर्माता से अदालत ने कहा कि वह खरीदारों का पैसा नहीं लौटाने और परियोजना का काम जारी रखने की गलत चाल नहीं अपना सकता। पीठ ने कहा, “जो लोग फ्लैट नहीं चाहते हैं, उन्हें उनका पैसा लौटा दें। हम दुखी महसूस करते हैं। हम लोग पैसा लौटाने का निर्देश देंगे। हमें बताएं कि आप उसके बाद किस तरह से पैसा लौटाएंगे? हम लोग इस पर विचार करेंगे कि वे ब्याज पाएंगे या नहीं।”
एनसीडीआरसी ने वर्ष 2015 में यूनिटेक को विस्टा परियोजना में फ्लैट का कब्जा देने में देरी के लिए प्रतिवर्ष 12 प्रतिशत मुआवजा देने आदेश दिया था।
यूनिटेक ने एक बयान में कहा है कि यूनिटेक सर्वोच्च न्यायालय के पारित आदेश से चिंतामुक्त हो गया है क्योंकि वह सभी मुद्दों पर योग्यता के आधार पर विचार के लिए राजी है।