नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। युवराज सिंह क्रिकेट के चाहने वालों के लिए हीरो हैं लेकिन अपने कोच की नजर में वह एक लेजेंड हैं। युवराज को सबसे पहले क्रिकेट की बारीकियां सिखाने वाले कोच सुखविंदर बावा मानते हैं कि एक दिन पहले क्रिकेट को अलविदा कहने वाले युवराज सही मायने में लेजेंड हैं क्योंकि उन्होंने क्रिकेट जगत का सबसे बड़ा कमबैक (वापसी) किया है।
नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। युवराज सिंह क्रिकेट के चाहने वालों के लिए हीरो हैं लेकिन अपने कोच की नजर में वह एक लेजेंड हैं। युवराज को सबसे पहले क्रिकेट की बारीकियां सिखाने वाले कोच सुखविंदर बावा मानते हैं कि एक दिन पहले क्रिकेट को अलविदा कहने वाले युवराज सही मायने में लेजेंड हैं क्योंकि उन्होंने क्रिकेट जगत का सबसे बड़ा कमबैक (वापसी) किया है।
वैसे तो युवराज के पिता योगराज सिंह ने उन्हें क्रिकेट से रूबरू कराया और आगे लेकर आए लेकिन युवराज 15-16 साल की उम्र में सुखविंदर के पास पहुंचे थे और तब से युवराज को आगे लेकर आने में सुखविंदर का बड़ा हाथ है।
अपने इस शिष्य के संन्यास पर सुखविंदर ने आईएएनएस से कहा, ”मेरे लिए वो हमेशा लिजेंड रहेगा। उसके लिए यह फैसला लेने का सही वक्त था। मेरी नजर में उसने क्रिकेट इतिहास का सबसे बड़ा कमबैक किया था, इसलिए वो लीजेंड है। ”
सुखविंदर ने भारत के लिए 400 से अधिक मैच खेलने वाले युवराज के कहा, आप लोगों ने टीवी उसका एग्रेशन। उसका जुनून देखा है। असल जिंदगी में वह बिल्कुल ऐसा नहीं है। वह जिंदादिल है। वह जो कुछ करता है, देश के लिए करता है। अपने लिए उसने एक भी पारी नहीं खेली। मैंने कई बार टोका कि अपना विकेट क्यों फेंक दिया तो कहता था-सर वहां टीम को मेरी जरूरत थी। सो, मैंने देश के लिए यह फैसला लिया।”
बावा के मुताबिक जो इंसान गलत देखकर उसके खिलाफ आवाज उठाना जानता हो, उसके अंदर एग्रेशन तो होना ही चाहिए और युवराज भी ऐसा ही है। बकौल बावा, वह गलत होता देख आंखें बंद नहीं कर सकता। वह उसके खिलाफ आवाज उठाता है और हालात सुधारने की कोशिश करता है। इसके लिए आक्रामक होना जरूरी है। अगर ऐसा न हो तो इंसान लाश हो जाता है।
युवराज का करियर रोमांचक और प्रेरक रहा है। 2011 विश्व कप के दौरान ही कैंसर के लक्षण दिखने लगे थे लेकिन युवी ने हार नहीं मानी और देश को 28 साल बाद सिरमौर बनाया। इसके बाद देश को पता चला कि युवी को कैंसर है। सबका बुरा हाल था और कोच इससे अलग नहीं थे। बावा मानते हैं कि जो इंसान अपनी इच्छाशक्ति के दम पर कैंसर को हरा सकता है, वह मानसिक तौर पर कितना मजबूत है, यह किसी को समझाने की जरूरत नहीं।
कोच ने कहा, वह कैंसर के खिलाफ जंग जीतकर आया है। आप सोच लीजिए कि वह मानसिक तौर पर कितना मजबूत होगा। बीमारी के कारण शरीर थोड़ा कमजोर हुआ और वह खेल की जरूरतों के हिसाब से खुद को ढाल नहीं पाया। इस क्रम में उससे प्रतिस्पर्धा रखने वाले आगे निकल गए।
जब भी युवराज का नाम जेहन में आता है तो स्टुअर्ट ब्रॉड पर लगाए गए छह छक्के याद आ जाते हैं। कोच के मुताबिक युवी की कई ऐसी परियां हैं जो बेमिसाल रहीं लेकिन कूच बिहार ट्रॉफी में खेली गई 358 रनों की पारी और युवी का लाहौर में टेस्ट पदार्पण उनके लिए सभी पारियों से ऊपर हैं।
कोच ने कहा, उसने बहुत बड़ी-बड़ी पारियां खेलीं, लेकिन मैं एक पारी का जिक्र करूंगा। एमएस धोनी फिल्म में भी उस पारी का जिक्र है। उसने मुझसे वादा करके अकेले 358 रन बनाए थे। मैं उस समय पंजाब की टीम का कोच था। मैच जमशेदपुर के टाटा नगर में हो रहा था। उसने ढाई दिन बल्लेबाजी की, उसमें से डेढ़ दिन मैं साइट स्क्रीन के पास खड़ा होकर उसे समझता रहा कि खेलता रहे। ऊंचा नहीं मारे। मेरी नजर में वो पारी उसकी सबसे बेहतरीन पारी है। इसके अलावा उसका लाहौर में पाकिस्तान में टेस्ट डेब्यू। इत्तेफाक की बात है कि मैं वहां भी था। मुझे यह दो पारियां बहुत पसंद हैं।
सुखविंदर कहते हैं कि युवराज बचपन में लगातार उनसे पूछता रहता कि वो इंडिया कब खेलेगा और जबाव में कोच अपने शिष्य के लिए टारेगट सेट कर देते थे।
इसी तरह एक वाक्ये का जिक्र करते हुए सुखविंदर ने कहा, वह बार-बार बोलता था कि मैं इंडिया कब खेलूंगा। ऐसे में मैं उसके लिए टारगेट सेट करता था। मैं कहता था कि तू पहले रणजी खेल। उसने जब रणजी खेला तो मैंने कहा तू सैकड़ा लगा तो मैं तुझसे 5000 रुपये का रीबॉक का जूता लूंगा। उसने जब हरियाणा के खिलाफ रणजी ट्रॉफी में पहला 100 किया तब मुझे जूता भेजा भी। उसमें प्रतिभा तो थी, लेकिन मुझे अंदर से बहुत स्ट्रॉंन्ग फीलिंग आती थी कि वह भारत के लिए खेलेगा। मुझे तो यहां तक लगता था कि यह विश्व कप में भारतीय टीम की कप्तानी भी करेगा और मैं ड्रेसिंग रूम में बैठकर मैच देखूंगा।
सुखविंदर ने युवराज की मां शबनम के योगदान को भी उनके करियर में अहम बताया है, जो बैकडोर पर हमेशा अपने बेटे के साथ जिंदगी के हर उतार-चढ़ाव में खड़ी रहीं। युवराज ने भी अपने अंतिम सम्बोधन में सोमवार का कहा कि उनकी मां ने उन्हें दो बार जन्म दिया है और उनके लिए शक्ति का स्रोत रही हैं।