नई दिल्ली, 24 जुलाई (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय मुंबई में 1993 में हुए श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन की उस याचिका पर सोमवार को सुनवाई करेगा, जिसमें उसके खिलाफ जारी मृत्यु वारंट को उसने चुनौती दी है और 30 जुलाई को तय फांसी स्थगित करने की मांग की है।
वरिष्ठ अधिवक्ता टी.आर. अंध्यार्जिना ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय की पीठ के समक्ष मामले को पेश किया। इस पर प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एच. एल. दत्तू ने कहा, “मैंने यह मामला एक पीठ को सौंप दिया है। इस पर सोमवार तक सुनवाई होगी।”
तीन सदस्यीय पीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय भी शामिल थे।
मेमन ने सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि 30 जुलाई को तय फांसी के लिए मृत्यु वारंट उसके पास मौजूद उपायों के इस्तेमाल से पहले और सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष उसकी क्यूरेटिव याचिका लंबित होने के दौरान ही जारी कर दिया गया था।
शीर्ष अदालत ने 21 जुलाई को मेमन की क्यूरेटिव याचिका अस्वीकार कर दी थी।
उसी दिन मेमन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल के समक्ष एक दया याचिका दायर की थी, जिसमें उसने मांग की थी कि उसकी फांसी को उम्रकैद में बदल दिया जाए।
सर्वोच्च न्यायालय में दायर अपनी याचिका में मेमन ने न्यायालय के 27 मई 2015 के आदेश पर अपना भरोसा जताया है। इस आदेश में न्यायालय ने एक 10 माह की बच्ची सहित उसके परिवार के कई सदस्यों की हत्या के दोषी शबनम और उसके प्रेमी को फांसी दिए जाने के लिए जारी मृत्यु वारंट को निरस्त कर दिया था। वारंट निरस्त करते हुए अदालत ने प्रक्रिया का पालन न करने के चलते इसे अवैध करार दिया था।
वारंट को निरस्त करते हुए न्यायालय ने कहा था, “सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मृत्युदंड की सजा सुनाए जाने से अनुच्छेद 21 के तहत जीने का मौलिक अधिकार खत्म नहीं हो जाता।”
न्यायालय ने कहा था, “मौत की सजा के क्रियान्वन के बावजूद मानवीय गरिमा की रक्षा करनी चाहिए।”