रायपुर: छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के परलकोट क्षेत्र में शिव की पूजा देखते ही बनती है. पारंपरिक रूप से छिंद के पेड़ पर चढ़कर शिव-पार्वती पूजन करने की परंपरा क्षेत्र में आज भी बरकरार है.
माह भर तक चलने वाली यह पूजा बेहद कष्ट साध्य और जान जोखिम में डालने वाली होती है. बावजूद इसके भक्तगण यह पूजा परंपरा अनुसार आज भी पूरे भक्तिभाव से करते हैं. इस महत्वपूर्ण पूजा को देखने आस-पास के ग्रामीण भी यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
शिव-पार्वती पूजा के दिन से महीने भर तक दो दर्जन से ज्यादा लोगों की टोली गांव-गांव नंगे पांव भजन कीर्तन करते हुए भ्रमण करती है. इस दौरान टोली के सभी लोग गेरुए रंग का वस्त्र धारण किए रहते हैं. दिनभर सभी लोग उपवास करते हैं.
गांव-गांव घूमने के दौरान भिक्षा के रूप में जो भी अनाज मिलता है उसे रात को मिट्टी के पात्र में बिना तेल मसाला के सिर्फ उबाल कर भोजन बनाते हैं तथा सभी एक साथ बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं. गांव का पूरा वातावरण इस दौरान धार्मिक भाव से ओत प्रोत होता है.
छिंद पेड़ के नीचे गत शनिवार को पारंपरिक रूप से पूजन किया गया. पूजन के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे. पेड़ के नीचे पूजन करने के बाद टोली के तीन सदस्य कांटेदार पेड़ के ऊपर चढ़े तथा वहां भी पूजन किया.
इसके बाद पेड़ पर लगे छिंद फलों को तोड़ कर फेंका जिसे नीचे खड़े श्रद्घालुओं ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया. पेड़ के ऊपर पूजन करने चढने वाले टोली के सदस्यों द्वारा पेड़ के ऊपर नृत्य भी किया जाता है. इस अनूठी परंपरा को आज भी बंग बहल गांवों में उत्साह पूर्वक लोग मनाते हैं.