मथुरा/आगरा, 15 नवंबर (आईएएनएस)। प्रदूषित यमुना को बचाने और केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के लिए आध्यात्मिक नेताओं और कार्यकर्ताओं ने दिल्ली तक मार्च करने का फैसला किया है।
इस इलाके में यमुना जिन क्षेत्रों से बहती है उनके हितधारकों के साथ मुलाकातों और परस्पर संवादों के बाद इस फैसले की घोषणा की गई।
कार्यकर्ता चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार यमुना को प्रदूषण मुक्त करने और वर्षभर पानी के निर्बाध बहाव को सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपाय करे।
दिल्ली तक इसी प्रकार का मार्च नवम्बर में भी आयोजित किया गया था।
बरसाना के एक सम्मानित संत रमेश बाबू ने कहा कि वक्त की मांग है कि केंद्र सरकार कुछ ठोस कदम उठाए और उन फैसलों को लागू करे जिनकी वह पहले ही घोषणा कर चुकी है।
कुछ संतों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर यमुना को बचाने के अपने वादे से पीछे हटने का भी आरोप लगाया।
‘बृज बचाओ समिति’ के रहीस कुरैशी ने कहा, “इतनी रैलियों और मार्च के बाद भी केंद्र सरकार ने हमारी मांग अब तक नहीं सुनी और यमुना अब भी वर्ष के अधिकांश समय सूखी और प्रदूषित रहती है।”
कार्यकर्ता खासतौर पर भाजपा सांसद हेमा मालिनी से नाराज हैं। कार्यकर्ताओं ने कहा कि मई 2014 आम चुनावों से पहले वादों के बावजूद हेमा ने यमुना के लिए कुछ नहीं किया।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि भूमि विकास करने वालों द्वारा यमुना के बाढ़ क्षेत्रों का भी अतिक्रमण किया जा रहा था और हरियाणा के फरीदाबाद से उत्तर प्रदेश के मथुरा तक नालों के जरिये औद्योगिक अपशिष्ट बहाया जा रहा है।
नदी कार्यकर्ताओं ने कहा कि लोगों को यमुना से जोड़ने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दैनिक यमुना आरती शुरू करने की पहल की मथुरा, वृंदावन और आगरा में व्यापक रूप से सराहना की गई।
आगरा के नदी जोड़ो अभियान के देवाशीष भट्टाचार्य ने कहा, “यह यमुना के लिए जन समर्थन जुटाने में जरूर मदद करेगा, जैसा कि हमने आगरा में देखा है, जहां एक अप्रैल से यमुना आरती हो रही है।”