नई दिल्ली, 16 जनवरी (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद और केंद्रीय मंत्री नजमा हेप्तुल्ला की तस्वीर बिगाड़ने के मामले की जांच में उठाए गए कदमों से संबंधित अभिलेख की मांग की।
न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने सीबीआई के वकील को तस्वीर बिगाड़ने की घटना की जांच में अदालत के समक्ष उन संबंधित रिकार्डो को पेश करने को कहा जिससे यह पता चलता हो कि जांच में किस तरह के कदम उठाए गए हैं।
मौलाना आजाद के पोते फिरोज बख्त अहमद की दलील पर अदालत में सुनवाई चल रही थी। फिरोज ने अदालत से मौलाना आजाद और नजमा हेप्तुल्ला की तस्वीर को कथित रूप से विकृत करने की घटना की प्रारंभिक जांच को तार्किक अंत तक पहुचाने की मांग की है।
फिरोज बख्त अहमद ने अदालत के इस आरोप पर कदम उठाया है कि हेप्तुल्ला के इशारे पर तब तस्वीर विकृत की गई थी, जब वह भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) की प्रमुख थीं।
नरेंद्र मोदी सरकार में हेप्तुल्ला अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री हैं। वह मौलाना आजाद की तीसरी पीढ़ी की भी हैं।
मामले पर अगली सुनवाई 27 फरवरी तय करते हुए न्यायमूर्ति शकधर ने कहा, “मैं यह जानना जरूरी समझता हूं कि तस्वीर विकृति की जांच के लिए किस तरह के कदम उठाए गए हैं। सीबीआई ने इस मामले की जांच में जो कदम उठाए हैं उसकी प्रथमदृष्टया जानकारी देने वाले संबंधित दस्तावेज पेश करे।”
अदालत ने यह निर्देश तब दिया है, जब सीबीआई ने इस मुद्दे पर स्वत:पूर्ण टिप्पणी पेश की और उसकी दलील से अदालत स्पष्ट नहीं हुआ कि फोटो को विकृत करने के मुद्दे की जांच के लिए जांच एजेंसी ने क्या कार्रवाई की।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।