अनिल सिंह(भोपाल)-मध्यप्रदेश में वर्षों से उपभोक्ताओं को दवाईयां बेचने के नाम पर जनमानस और शासन से जो धोखाधड़ी की जा रही है यह लूट और घोटाला यदि अब तक जोड़ा जाए तो दुनिया का सबसे बड़ा घोटाला होगा।दवा विक्रेता और अधिकारीयों के गठ-जोड़ ने आम- जनता से इतना रूपया लूटा है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते वह भी असुरक्षित रूप से पेश है रिपोर्ट—
90% मेडिकल स्टोर अवैध हैं , मध्यप्रदेश में दवाइयाँ बेच रहे अधिकांश मेडिकल स्टोर गलत लाइसेंस पर दवाइयाँ बेच रहे हैं ——
खाद्य एवं औषधि प्रशासन के नियम अनुसार दो तरह के दवा विक्रय के लाइसेंस दिए जाते हैं
1. थोक विक्रेताओं हेतु
2. फुटकर विक्रेताओं हेतु
थोक विक्रय लाइसेंस के जो नियम हैं वे फुटकर विक्रय लाइसेंस से कुछ सरल हैं,इनके नियम अनुसार जिस वाहन से दवाईयों का परिवहन किया जाता है उसका रजिस्ट्रेशन होना चाहिये,थोक विक्रेता दवाई के किसी डिब्बे की सील नहीं खोल सकता है,मतलब किसी भी दवा को स्ट्रिप या नग से नहीं बेच सकता है।
फुटकर दवाइयों के विक्रय के नियम कुछ कठिन हैं जैसे एक फार्मासिस्ट दवा की दुकान पर नियुक्त होना चाहिए ,दुकान का आकार नियमानुसार होना चाहिए,दुकान मालिक के पास अपेक्षित योग्यताएं होना चाहिए तब वह इस दुकान का संचालन कर सकता है।बेची गयी दवाइयों का रिकॉर्ड उपलब्ध होना चाहिए।
थोक का लाइसेंस ले कर फुटकर में दवाइयां बेचीं जाती हैं-—– गोरखधंधा शुरू होता है थोक विक्रय का लाइसेंस आसानी से प्राप्त कर लिया जाता है और दवाइयां फुटकर में बेचीं जातीं हैं।
फार्मासिस्ट के लाइसेंस में भी धोखाधड़ी-— एक लाइसेंस से कई दुकानों का संचालन किया जाता है,कई दुकानों पर तो फार्मेसी कौंसिल के अधिकारीयों और कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी लाइसेंस बनवा लिए गए हैं और मानव जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है।गलत दवाइयां विक्रेता द्वारा दे दी जाती है और कई मरीज अनजाने में मर जाते हैं बदनाम चिकित्सक होते हैं।
अयोग्य व्यक्ति बेच रहे दवाइयां मानव जीवन से कर रहे खिलवाड़ –— कम योग्यता के व्यक्ति यह कार्य कर रहे हैं,इन्होने फर्जी तरीके से विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से लाइसेंस हासिल कर लिए और मानव जीवन से पैसों की लालच में खिलवाड़ करने का लाइसेंस ले लिया है।
क्यों हो रहा यह सब?— दरअसल इस व्यवसाय में मुनाफा बहुत अधिक है,100 रुपए की दवा 300 रुपये या उससे भी अधिक में बिकती है,,यही लालच मनुष्य को मानव जीवन का दुश्मन बना देता है और लोग इस कार्य को करने में कोई भी फर्जीवाड़ा करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
कैसे संचालित किया जाता है यह धंधा-——- इच्छित व्यक्ति खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग को आवेदन देता है और साथ ही मोटी रकम अवैध रूप से अदा कर लाइसेंस प्राप्त कर लिया जाता है।दुकान संचालन के समय वर्ष में एक बार निश्चित रकम विभाग को अवैध रूप में अदा कर दी जाती है और बेफिक्री से यह मौत का व्यवसाय जारी रखा जाता है।
सेल्स टैक्स विभाग भी है फर्जीवाड़े में शामिल-— थोक की दुकान से ये दुकानदार दवाइयाँ खरीदते हैं और फुटकर में बेच देते हैं,टैक्स एक बार ही अदा किया जाता है जो की थोक में खरीदते वक्त अदा होता है,चूंकि फुटकर में कीमत कई गुना बढ़ जाती है और यह टैक्स अदा न करते हुए शासन को यहाँ भी चूना लगाया जाता है।सेल्स टैक्स विभाग के इंस्पेक्टर साल में एक बार आते हैं और अपनी अवैध वसूली कर चले जाते हैं।
मालामाल हो रहे अधिकारी,कर्मचारी और ठगे जा रहे उपभोक्ता–– खाद्य एवं औषधि विभाग के एक बाबू का तबादला इंदौर हो गया था,सूत्र बताते हैं की वह सुबह की फ्लाइट से नौकरी करने जाता था और शाम की फ्लाइट से वापस आता था .अब आप अंदाजा लगा लीजिये की कितनी कमाई होती है इस धंधे में।
इस मकडजाल को भेदने का एक छोटा सा प्रयास है हमारा,हम आम जनता को इस भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलवाने हेतु अधिकारीयों के पास जायेंगे और उनके विचार जानने की भी कोशिश करेंगे एवं आपको बताएँगे की किसने क्या कहा और किया इंतज़ार करिए …………जल्द ही हम वह प्रयास भी आपके सामने लायेंगे ……………..
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