मुम्बई -बॉलीवुड में आजकल फिल्मों को हिट बनाने के लिए कुछ ऐसा करना फैशन बन गया है जिससे वो रिलीज के पहले सुर्खियों में आ जाए। यह चाहे फूहड़ता हो या फिर आस्था के साथ खिलवाड़, बिना ऐसा किए फिल्म चर्चा में कैसे आएगी? मुफ्त की पब्लिसिटी का ये तरीका जो हो गया है। सनी देओल की फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ का प्रोमो लीक क्या हुआ, फिल्म स्क्रीन पर आने से पहले ही विवादों में घिर गई।
इसे लीक किया गया, हो गया या कराया गया, पता नहीं। हां फिल्म के डायलॉग, बोल्ड सीन और साधु, संत यहां तक कि बहुरूपिया रूपी भगवान शिव के मुंह से निकली खुल्लम खुल्ला बकी जाने वाली ठेठ देशी और फूहड़ गालियों ने हंगामा जरूर खड़ा दिया। ऐसा लग ही रहा था कि फिल्म रिलीज की राह कठिन होगी और तभी फिल्म के गीतकार पद्मभूषण अलंकृत पं.छन्नूलाल मिश्र ने अब डायरेक्टर से साफ कह दिया, फिल्म में गाना रहेगा या गालियां। उन्होने गाना ‘डिमिक-डिमिक डमरू बाजे..’ गाया है। फिल्म रिलीज हो भी जाती तो गालियों, फूहड़ता और द्विअर्थी संवादों से हंगामा बरपना ही था। ट्रेलर में उपयोग हुए फूहड़, अभद्र यहां तक कि महिला किरदारों के अश्लील संवाद हो हल्ला को काफी हैं। इसके डायरेक्टर मौजूदा सेंसर बोर्ड सदस्य चन्द्रप्रकाश द्विवेदी कहते हैं कि प्रोमो लीक किसी सिरफिरे की साजिश है।
फिल्म साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार काशीनाथ सिंह के उपन्यास ‘काशी का अस्सी’ के ‘पाण्डे कौन कुमति तोहे लागी’ पर आधारित है। वो खुद भी हतप्रभ हैं और कहते हैं “शूटिंग के दौरान मैं मौजूद था और जितना जानता हूं? फिल्म की भाषा किताब वाली ही है इसमें गाली कहां से आ गई, पता नहीं! भोलेनाथ बने बहुरूपिया द्वारा गाली देने बात समझ में नहीं आ रही है। यदि ऐसा है तो गलत है। मेरी किताब में पात्र की अंतरात्मा उसे तारती है और वह अपने हित में सोचता है। शिव द्वारा गाली देने का सवाल ही नहीं उठता”।
2 मिनट 46 सेकेण्ड का कथित लीक हुआ प्रोमो को भले ही अधिकृत न कहा जाए और समर्थन में कैसी भी दलीलें दी जाएं लेकिन सवाल वही कि पूरी फिल्म में कितनी जगह काट-छांट की जाएगी? छोटे से प्रोमों में दर्जन भर से ज्यादा बार गालियां, अश्लील और द्विअर्थी शब्दों का उपयोग है। लगता है कि पूरी फिल्म में बनारसी बोली की आड़ में सिवाए गालियां, फूहड़ता और बोल्ड सीन के कोई खास मिर्च मसाला शायद ही हो। फिल्म में बनारस की संस्कृति को दशार्या जा रहा है या बनारस को विरूपित किया जा रहा है? फिल्म में सनी देओल संस्कृत शिक्षक धर्मनाथ की भूमिका में है तो टेलीविजन का सुपरहिट चेहरा साक्षी तंवर उनकी पत्नी के किरदार में हैं। रवि किशन विदेशी टूरिस्टों को गाइड बनकर बनारस के अस्सी घाट घुमाते हैं। अन्य कलाकारों में सौरभ शुक्ला, मुकेश तिवारी सहित कई और हैं। फिल्म को चटपटा बनाने के लिए धर्म नगरी काशी की गौरवशाली परंपरा और संस्कृति का खुल्लमखुल्ला मजाक तो है ही साथ ही यह भारत की आस्था और विश्वास के साथ भी धोखा से कम नहीं है।
फिल्म हिट करने और पैसा कमाने के नाम पर दर्शकों को कुछ भी परोस देना कितना उचित है? एक हिन्दी चैनल से इण्टरव्यू में सनी देओल ने कहा था “जिन शब्दों को प्रयोग किया है वो बनारस की भाषा है। बनारस में जैसे बात की जाती है वैसे ही डायलॉग हैं।” वो ताल ठोककर यह भी कहते हैं कि फिल्म में ऐसी कोई चीज है ही नहीं जो फैमिली के साथ न देखी जाए। लीक हुए प्रोमो या ट्रेलर जो भी कहिए, वही फैमिली के साथ देखने लायक नहीं है तो पूरी फिल्म की क्या गारंटी ? खैर, वजह जो भी हो, सवाल यही है कि फिल्म पब्लिसिटी का यह कौन सा फंडा है जिसमें गाली, गलौज और फूहड़ता के नाम पर पवित्रता और की, संस्कृति की दुहाई दी जाए ?
‘मोहल्ला अस्सी’ में बताई गई काशी न कभी थी, न हो सकती है। सुमेरु पीठ के शंकराचार्य स्वामी नागेन्द्र सरस्वती पहले ही इस पर एफआईआर भी दर्ज करा चुके हैं। रही-सही कसर पद्मभूषण पं.छन्नूलाल मिश्र ने पूरी कर दी है जो फिल्म में फूहड़ता और गालियों से आहत हैं। अगर मान भी लिया कि एक खास गाली काशी का स्वाद हो सकती है मगर इसका मतलब यह नहीं कि इस आड़ में गालियों और अश्लील संवादों की भरमार हो जाए ? फिलाहाल रिलीज से पहले ही एक बार फिर से फिल्म में नया ट्विस्ट आ गया है। अब जो भी हो सारा माजरा फिल्म रिलीज के बाद ही सामने आ पाएगा फिलाहाल रिलीज की राहें आसान नहीं लगती।